राहुल गांधी के तेलंगाना कार्यक्रम में गुरुवार को जुटी भीड़ ने सत्तारूढ़ भारतीय राष्ट्रीय समिति (बीआरएस) के सामने नई चुनौती पेश कर दी है। राहुल गांधी ने जाति जनगणना के मुद्दे पर केसीआर की चुप्पी पर सवाल उठाया और कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी राज्य में सत्ता में आती है तो सर्वेक्षण कराएगी। जाति जनगणना से पता चलेगा कि केसीआर के परिवार ने तेलंगाना को कितना लूटा है।" तेलंगाना के भूपालपल्ली में रोड शो के दौरान राहुल ने आरोप लगाया कि बीआरएस और असदुद्दीन ओवैसी के नेतृत्व वाली एआईएमआईएम भाजपा के साथ गठजोड़ कर रहे हैं और कांग्रेस पर संयुक्त हमला कर रहे हैं।
राहुल गांधी ने इस दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए कहा, हमने पहले ही छत्तीसगढ़, राजस्थान और कर्नाटक में जाति जनगणना सर्वेक्षण शुरू कर दिया है और सत्ता में आते ही तेलंगाना में भी ऐसा ही करेंगे।
उन्होंने कहा, "जब प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी और मुख्यमंत्री केसीआर भाषण देते हैं, तो तेलंगाना के लोगों को उनसे सवाल करना चाहिए कि वे जाति जनगणना सर्वेक्षण कब कराने का इरादा रखते हैं।"
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा विपक्षी दलों को चुप कराने के लिए उनके खिलाफ मामले दर्ज कर रही है, लेकिन केसीआर के खिलाफ कोई मामला नहीं है। मुख्यमंत्री केसीआर के खिलाफ सीबीआई और ईडी के मामले न होना सवाल खड़े करता है।"
राहुल ने कहा कि यह कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार थी जिसने तेलंगाना को राज्य का दर्जा देने का वादा पूरा किया था। इसीलिए तेलंगाना के लोगों के साथ मेरा रिश्ता प्यार और स्नेह का है। जबकि केसीआर और मोदी आपके साथ राजनीतिक रिश्ते के लिए तेलंगाना आते हैं, मेरा आपके साथ संबंध प्यार और स्नेह पर आधारित है।"
उन्होंने दावा किया कि तेलंगाना में भारत में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार है और इसका तेलंगाना के युवाओं और महिलाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
इससे पहले, केसीआर की बेटी और विधान परिषद सदस्य के. कविता ने सवाल किया था कि कांग्रेस ने देश पर छह दशकों तक शासन करने के दौरान जाति सर्वेक्षण क्यों नहीं करवाया। पीटीआई के अनुसार, कविता ने पिछले हफ्ते निज़ामाबाद में कहा था, "कांग्रेस नेता (राहुल) ने पिछड़े वर्ग की आबादी की जनगणना के बारे में बात करना शुरू कर दिया। जब वे 60 साल तक सत्ता में थे, तो उन्होंने ऐसा नहीं किया। अब वह कहते हैं कि वह कुछ करेंगे।"
बता दें कि केसीआर सरकार ने सत्ता में आने के तुरंत बाद 2014 में राज्य में जाति सर्वेक्षण करवाया था। नतीजों को चुनौती देने वाली मुकदमेबाजी के कारण उसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। राज्य सरकार का कहना है कि उसने नीतिगत बदलावों के लिए डेटा का उपयोग किया था।
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