पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बग़ावती रूख़ के कारण राजस्थान बीजेपी में बीते कुछ महीनों से अशांति का माहौल है। कुछ दिन पहले ही ख़बर आई थी कि बीजेपी की राजस्थान इकाई के नए होर्डिंग्स से राजे की तसवीर ग़ायब हो गई है और अब ताज़ा ख़बर यह है कि वसुंधरा ने पार्टी की अधिकतर बैठकों में जाना बंद कर दिया है।
‘द प्रिंट’ के मुताबिक़, इसके अलावा राजस्थान बीजेपी की ओर से किए जाने वाले कार्यक्रमों में भी वसुंधरा हिस्सा नहीं ले रही हैं।
‘वसुंधरा जन रसोई’
कोरोना काल में राष्ट्रीय नेतृत्व के निर्देश पर कई राज्य इकाईयों की तरह ही जब राजस्थान बीजेपी ने ‘सेवा ही संगठन’ अभियान चलाया तो वसुंधरा के समर्थकों ने ‘वसुंधरा जन रसोई’ शुरू कर दी। इसे लेकर पार्टी के नेताओं में एक बार फिर नाराज़गी देखी गई। वसुंधरा पर आरोप लगता रहा है कि वह राजस्थान में बीजेपी के समानांतर संगठन चला रही हैं।
‘वसुंधरा जन रसोई’ के तहत जो फ़ूड पैकेट बांटे गए, उनमें और इस जन रसोई कार्यक्रम के प्रचार वाली गाड़ियों में सिर्फ़ वसुंधरा राजे की ही तसवीर को दिखाया गया।
राजे ने नहीं किया ट्वीट
राजस्थान बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने ‘द प्रिंट’ को बताया कि बीत कुछ दिनों में सैकड़ों वर्चुअल बैठकें हो चुकी हैं लेकिन वसुंधरा राजे ने इनमें से अधिकतर बैठकों में हिस्सा नहीं लिया। राजस्थान बीजेपी ने 9 जून को अशोक गहलोत सरकार के ख़िलाफ़ हैशटैग चलाया था, इसमें राज्य के सभी कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने एक भी ट्वीट नहीं किया।
राजस्थान बीजेपी का पलटवार!
राज्य बीजेपी की ओर से जो नए होर्डिंग्स लगाए गए हैं, उनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया और प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का चेहरा है लेकिन हैवीवेट नेता होने के बाद भी राजे का चेहरा नहीं है। इसे लंबे वक़्त से शांत बैठी राजस्थान बीजेपी का पलटवार माना जा रहा है।
होर्डिंग्स से चेहरा ग़ायब होने से राजे के समर्थक नाराज़ बताए जाते हैं। दो बार राज्य की मुख्यमंत्री रहीं राजे की लोकप्रियता राजस्थान में बीजेपी ही क्या कांग्रेस के भी किसी भी नेता से ज़्यादा दिखाई देती है।
‘वसुंधरा राजे समर्थक मंच राजस्थान’
इसके अलावा वसुंधरा राजे के समर्थकों ने ‘वसुंधरा राजे समर्थक मंच राजस्थान’ का गठन कर बीजेपी आलाकमान की मुश्किलें बढ़ाई हुई हैं। राजस्थान बीजेपी के नेता इसे लेकर भी आलाकमान से राजे की शिकायत कर चुके हैं। राजे के समर्थक चाहते हैं कि उनकी नेता को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया जाए।
वसुंधरा राजे ने इस साल मार्च के महीने में दो दिन की देवदर्शन यात्रा निकालकर बीजेपी आलाकमान को अपनी सियासी ताक़त दिखाई थी। इस यात्रा में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी, 8 सांसदों, 20 विधायकों कई पूर्व विधायकों ने हिस्सा लिया था।
लगभग सभी बड़े नेता और राज्य इकाइयां जब मोदी-शाह की जोड़ी के आदेशों को मानती थीं, तब भी वसुंधरा ही अकेली ऐसी नेता थीं जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में टिकट बांटने से लेकर गजेंद्र सिंह शेखावत को अध्यक्ष न बनने देने तक अपनी बात मनवाई थी।
सांसद-विधायकों का समर्थन
कहा जाता है कि राजस्थान बीजेपी के 72 विधायकों में से 40 और 25 सांसदों में से 8 राजे के समर्थक हैं। यही कारण है कि बीजेपी आलाकमान लाख शिकायतें मिलने के बाद भी राजे के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने से हिचकता है।
2018 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद बीजेपी आलाकमान ने राजे को नेता विपक्ष नहीं बनाया और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाकर राजस्थान की राजनीति से दूर करने की कोशिश की लेकिन राजे खूंटा गाड़ कर बैठी रहीं।
अब जो ताज़ा हालात हैं, उसमें साफ है कि अगर बीजेपी आलाकमान ने राजे को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया तो वे 2023 में बीजेपी की सत्ता में वापसी को बेहद मुश्किल कर देंगे।
अपनी राय बतायें