किसान आंदोलन को लेकर बीजेपी और मोदी सरकार को लगातार नसीहत दे रहे बीजेपी सांसद वरूण गांधी ने गुरूवार को धमाकेदार ट्वीट किया है। वरूण ने बीजेपी की नींव रखने वाले अटल बिहारी वाजपेयी का एक पुराना वीडियो ट्वीट किया है।
खास बात यह है कि इस वीडियो में अटल बिहारी वाजपेयी किसान आंदोलन को लेकर उस समय की इंदिरा गांधी सरकार को चेता रहे हैं।
अटल एक सभा में मंच से कहते हैं, “मैं सरकार को चेतावनी देना चाहता हूं, दमन के तरीक़े छोड़ दीजिए, डराने की कोशिश मत करिए, किसान डरने वाला नहीं है, हम किसानों के आंदोलन का राजनीतिक उपयोग नहीं करना चाहते लेकिन हम किसानों की उचित मांग का समर्थन करते हैं।”
वाजपेयी आगे कहते हैं, “अगर सरकार दमन करेगी, क़ानून का दुरुपयोग करेगी, शांतिपूर्ण आंदोलन को दबाने की कोशिश करेगी तो किसानों के संघर्ष में कूदने में हम संकोच नहीं करेंगे, हम उनके साथ कंधे से कंधा लगाकर खड़े रहेंगे।”
यह वीडियो 1980 का है। उस दौर में वाजपेयी बेहद जोशीले और लोकप्रिय नेता थे। उन्होंने इस भाषण में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार को ललकारा था कि वह किसानों की आवाज़ को कुचलना बंद करे वरना वह किसानों के हक़ की लड़ाई लड़ने को मैदान में उतर जाएंगे।
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ऐसे वक़्त में जब बीजेपी और मोदी सरकार किसान आंदोलन से बुरी तरह हलकान हैं, वरूण गांधी के इस वीडियो का संदेश साफ है कि सरकार किसानों के आंदोलन को लेकर दमनकारी रूख़ न अपनाए।
ग़ुस्से में हैं किसान
किसान पिछले 10 महीनों से दिल्ली के बॉर्डर्स पर आंदोलन कर रहे हैं। गर्मी, सर्दी, बरसात, पुलिसिया जुल्म सब कुछ उन्होंने बर्दाश्त किया है। लेकिन मोदी सरकार ने पिछले 9 महीने में उनसे एक बार भी बात नहीं की है। इससे तो किसान नाराज़ थे ही लखीमपुर खीरी की घटना में शांतिपूर्ण ढंग से जा रहे किसानों को रौंदे जाने की घटना के बाद वे भड़क गए हैं।
किसानों का कहना है कि उनकी आवाज़ को दबाने की कोशिश की जा रही है। आंदोलन में शामिल किसानों को पहले दिन से ही खालिस्तानी, देशद्रोही कहकर बदनाम किया जा रहा है।
वरूण ने इस वीडियो को ट्वीट करने के साथ ही लिखा है- बड़े दिल के नेता के बुद्धिमान शब्द।
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मोदी के लिए संदेश
वरूण का अटल बिहारी वाजपेयी को बड़े दिल का नेता बताना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी संदेश है। किसान और विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाते हैं कि वह देश के अन्नदाता से बात करने के लिए तैयार नहीं है और इसके पीछे वजह उसका अहंकार है।
लगातार हमलावर हैं वरूण
लखीमपुर खीरी की घटना के बाद से ही वरूण गांधी लगातार हमलावर रहे हैं। वरूण बीते दिनों एक और बेहद गंभीर ख़तरे की ओर इशारा कर चुके हैं। उन्होंने कहा था कि लखीमपुर खीरी की घटना को हिंदू बनाम सिख बनाने की कोशिश की जा रही है।
वरूण कह चुके हैं कि प्रदर्शनकारियों को हत्या करके चुप नहीं कराया जा सकता है और पीड़ित परिवारों को इंसाफ़ मिलना चाहिए। वरूण ने कुछ दिन पहले गोडसे जिंदाबाद के नारे लगाने वालों को भी लताड़ा था। उन्होंने कहा था कि ऐसे लोग इस देश को शर्मिंदा कर रहे हैं।
क्या चाहते हैं वरूण?
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई लखीमपुर खीरी की इस घटना ने बीजेपी को पहले से ही बैकफ़ुट पर धकेल रखा है। वरूण गांधी के ताबड़तोड़ ट्वीट्स पार्टी की मुसीबतों में इजाफ़ा ही कर रहे हैं।
वरूण शायद यह संदेश देना चाहते हैं कि वह किसानों के हक़ में अपनी आवाज़ को पूरी मज़बूती के साथ उठाते रहेंगे और अगर पार्टी को उनका बोलना पसंद नहीं आ रहा है तो वह कार्रवाई करने के लिए स्वतंत्र है।
उत्तर प्रदेश की राजनीति में भी इसे लेकर चर्चा है कि वरूण गांधी बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में आ सकते हैं। वरूण के ख़िलाफ़ क्या कार्रवाई होगी, यह तो आने वाले दिनों में पता चलेगा लेकिन पीलीभीत के इस सांसद ने पार्टी नेतृत्व को एक तरह से चुनौती तो दे ही दी है।
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