दशकों तक राजनीति पर कांग्रेस के एकाधिकार ने देश का बहुत नुक़सान किया है। वर्तमान सत्तारूढ़ दल अभी उस स्थिति में पहुँचा नहीं है। पर हालात ऐसे ही रहे तो हम उसी दिशा में बढ़ रहे हैं। प्रतिस्पर्धी का होना बीजेपी या जो भी दल सत्ता में है उसके लिए भी अच्छा होगा। क्योंकि उसे अपने में निरन्तर सुधार लाने का दबाव बना रहेगा। एक समय ऐसा था जब लग रहा था कि देश में तीन राष्ट्रीय दल बन सकते हैं। कांग्रेस के अलावा भारतीय जनता पार्टी और जनता दल। साल 1988 में जनता दल का गठन भारतीय राजनीति की एक बहुत बड़ी घटना थी। तीनों दलों के चरित्र पर ग़ौर कीजिए। कांग्रेस मध्यमार्गी पार्टी थी जो वाम मार्ग की ओर झुकी हुई थी। बीजेपी दक्षिणपंथी पार्टी थी और है। जनता दल मध्यमार्गी दल था। जिसमें दोनों पक्ष के लोगों को समाहित करने की क्षमता थी।
बीजेपी से मुक़ाबले के लिए विपक्षी दलों के पास एक ही रास्ता!
- राजनीति
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- 1 Dec, 2020

आपने क्रिकेट में लोगों को अपनी अपनी टीम बनाते हुए देखा, सुना और पढ़ा होगा। मुझे लगा कि राजनीतिक दलों के बारे में भी ऐसी कोशिश की जानी चाहिए। पर क्रिकेट की तरह यह प्रयास कोई शगल या टाइमपास के लिए नहीं है। देश में यदि जनतंत्र को सशक्त रखना है तो राष्ट्रीय स्तर पर दो पार्टियाँ होनी ही चाहिए।
प्रदीप सिंह देश के जाने माने पत्रकार हैं। राजनीतिक रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है। आरएसएस और बीजेपी पर काफी बारीक समझ रखते हैं।