सुप्रीम कोर्ट ने आज अयोध्या में राम जन्म भूमि मामले की सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय खंडपीठ का गठन करने और सुनवाई के लिए दस जनवरी की तारीख़ तय कर दी। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए राहत की ख़बर है। पर यह राहत टिकाऊ होगी या क्षणजीवी, यह दस जनवरी को पता चलेगा।
राम मंदिर के चक्रव्यूह में फँसे पीएम मोदी
- विश्लेषण
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- 7 Feb, 2019

राम मंदिर पर संघ और मोदी की सोच अलग है। पीएम नहीं चाहते कि चुनाव में मंदिर मुख्य मुद्दा बने। इसलिए वह कोर्ट के फ़ैसले से पहले किसी तरह का क़दम नहीं उठाना चाहते।
दरअसल, राम मंदिर के मुद्दे पर संघ परिवार और प्रधानमंत्री की सोच में अंतर नज़र आ रहा है। प्रधानमंत्री अदालत के फ़ैसले से पहले किसी तरह का क़दम उठाने के पक्ष में नहीं हैं। वह जानते हैं कि चुनाव के समय इस मुद्दे पर फ़ैसला आने की संभावना कम है। यदि फ़ैसला आ भी गया तो उसका राजनीतिक फ़ायदा उठाने के लिए जो क़दम उठाने पड़ेंगे उनके लिए तो बिल्कुल ही समय नहीं है। चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद प्रधानमंत्री के हाथ बँध जाएँगे।
प्रदीप सिंह देश के जाने माने पत्रकार हैं। राजनीतिक रिपोर्टिंग का लंबा अनुभव है। आरएसएस और बीजेपी पर काफी बारीक समझ रखते हैं।