अखिलेश यादव की क़यादत वाली एसपी ने बैठक से किनारा कर लिया है जबकि आम आदमी पार्टी, बीएसपी को बैठक में आने का निमंत्रण नहीं दिया गया था। बैठक में कांग्रेस के अलावा टीएमसी, एनसीपी, डीएमके, शिव सेना, जेएमएम, सीपीआई, सीपीएम, नेशनल कॉन्फ्रेन्स, आरजेडी, एआईयूडीएफ़, लोकतांत्रिक जनता दल, जेडीएस, आरएलडी, आरएसपी, केरल कांग्रेस (एम), पीडीपी और आईयूएमएल शामिल हुए। कांग्रेस की ओर से सोनिया गांधी के अलावा, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और सांसद राहुल गांधी भी बैठक में मौजूद रहे।
कांग्रेस अध्यक्ष ने विपक्षी दलों से आग्रह किया कि उस एक उद्देश्य के साथ काम किया जाए जो देश को ऐसी सरकार दे जो स्वतंत्रता आंदोलन के मूल्यों और हमारे संविधान के सिद्धांतों और प्रावधानों में विश्वास करने वाली हो। सोनिया ने बैठक में कहा, 'हम सभी की अपनी मजबूरियाँ हैं, लेकिन स्पष्ट रूप से वह वक़्त आ गया है जब हमारे राष्ट्र के हितों की मांग है कि हम उनसे ऊपर उठें।' उन्होंने कहा कि 2024 का चुनाव 'अंतिम लक्ष्य' है। उन्होंने कहा कि 'यह एक चुनौती है, लेकिन हम साथ मिलकर इसे आगे बढ़ा सकते हैं क्योंकि एक साथ मिलकर काम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।'
सोनिया गांधी ने शुक्रवार को विपक्षी नेताओं के साथ बैठक में विपक्षी एकता पर जोर देने के अलावा पेगासस समेत अन्य मुद्दों लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा।
A time has come when the interests of our nation demand that we rise above our compulsions. The 75th anniversary of India's Independence is indeed the most appropriate occasion for us to reaffirm our individual & collective resolve.
— Congress (@INCIndia) August 20, 2021
- Congress President Smt. Sonia Gandhi pic.twitter.com/pPhp7xHjwI
संसद के मानसून सत्र में विपक्ष के हमलों से मोदी सरकार बुरी तरह घिर गई थी। किसान आंदोलन और पेगासस जासूसी मामले ने सरकार का पीछा अभी भी नहीं छोड़ा है। मानसून सत्र के दौरान तमाम विपक्षी दलों के नेता राहुल गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े दिखाई दिए थे।
जेल से बाहर आए आरजेडी मुखिया लालू प्रसाद यादव ने भी बीते दिनों शरद पवार और अखिलेश यादव से मुलाक़ात कर विपक्ष की एकजुटता पर जोर दिया था।
विपक्षी दल इस बात को जानते हैं कि साल 2022 में बीजेपी को रोकना ज़रूरी है, खासकर उत्तर प्रदेश में। उत्तर प्रदेश में अगर बीजेपी को जीत मिलती है तो वह 2024 के लिए तेज़ी से क़दम बढ़ाएगी और अगर हार मिली तो उसकी राह मुश्किल हो जाएगी। 2022 में सात राज्यों में चुनाव होने हैं और इनमें से पांच में साल की शुरुआत में चुनाव हैं।
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