कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह गुरुवार को पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर से मिलने पहुंचे। बताना होगा कि ये दोनों ही नेता कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार हैं। शशि थरूर ने कुछ दिन पहले ही एलान कर दिया था कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे जबकि दिग्विजय सिंह ने गुरुवार को नामांकन फॉर्म खरीदा और कहा कि वह भी 30 सितंबर को अध्यक्ष के चुनाव में नामांकन दाखिल करेंगे।
याद दिलाना होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में नामांकन की आखिरी तारीख 30 सितंबर ही है। इसलिए शुक्रवार शाम तक यह तस्वीर साफ हो जाएगी कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में कौन-कौन उम्मीदवार हैं।
हालांकि 8 अक्टूबर तक नाम वापस लिए जा सकते हैं और एक से ज्यादा उम्मीदवार होने की सूरत में 17 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 19 अक्टूबर को मतों की गिनती के साथ ही नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में पार्टी के 9,100 डेलीगेट्स मतदान करेंगे।
शशि थरूर ने ट्वीट कर बताया कि दिग्विजय सिंह ने उनसे मुलाकात की। थरूर ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष के चुनाव में वह दिग्विजय सिंह की उम्मीदवारी का स्वागत करते हैं। थरूर ने कहा है कि वे दोनों इस बात पर सहमत हैं कि यह लड़ाई विरोधियों के बीच नहीं है बल्कि सहयोगियों के बीच में एक दोस्ताना मुकाबला है। हम दोनों में से कोई भी जीते, जीत कांग्रेस की ही होगी।
अब तक ऐसा साफ दिखाई दे रहा है कि इन दोनों के अलावा शायद कोई तीसरा नेता कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में नामांकन नहीं करेगा। उधर, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिले। मुलाकात के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा कि वह कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेंगे। ऐसी स्थिति में अभी तक दो प्रमुख उम्मीदवार शशि थरूर और दिग्विजय सिंह ही दिखाई देते हैं।
हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कह चुकी हैं कि वह इस चुनाव में पूरी तरह तटस्थ रहेंगी। फिर भी जिस तरह अशोक गहलोत को गांधी परिवार का समर्थित उम्मीदवार माना जा रहा था। लेकिन अब जब अशोक गहलोत इस चुनाव से बाहर हो गए हैं तो सवाल यह है कि गांधी परिवार का अप्रत्यक्ष समर्थन किसे मिलेगा।
G-23 गुट के हैं शशि थरूर
शशि थरूर कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 में शामिल हैं और कांग्रेस अध्यक्ष के स्वतंत्र चुनाव सहित कई मामलों में पार्टी नेतृत्व के सामने आवाज उठा चुके हैं। ऐसे में उन्हें अप्रत्यक्ष रूप से गांधी परिवार का समर्थन मिलने की उम्मीद कम है।
मीडिया में आई खबरों में इस बात की चर्चा है कि राजस्थान में हुए सियासी घटनाक्रम के बाद कांग्रेस हाईकमान ने ही दिग्विजय सिंह से अध्यक्ष के चुनाव में नामांकन करने के लिए कहा है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि गांधी परिवार का अप्रत्यक्ष समर्थन दिग्विजय सिंह को मिलेगा।
कौन हैं दिग्विजय सिंह?
दिग्विजय सिंह बेहद अनुभवी नेता हैं और 10 साल तक मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री रहने के अलावा राज्यसभा के सांसद, कई राज्यों में कांग्रेस के प्रभारी भी रहे हैं। वह कांग्रेस में फैसला लेने वाली सर्वोच्च संस्था कांग्रेस वर्किंग कमेटी यानी सीडब्ल्यूसी के स्थायी आमंत्रित सदस्य हैं। दिग्विजय सिंह 1977 में पहली बार विधायक चुने गए थे और साल 1984 में पहली बार सांसद बने थे। वह मध्य प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे हैं और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ काम कर चुके हैं।
दूसरी ओर, केरल के तिरूवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर भी कांग्रेस के जाने-पहचाने चेहरे हैं और पढ़े-लिखे नेता हैं। वह मोदी लहर में भी चुनाव जीत कर आए हैं। शशि थरूर मनमोहन सिंह सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ ही विदेश मंत्रालय में भी राज्य मंत्री रह चुके हैं। वह तीन दशक तक संयुक्त राष्ट्र में भी तमाम पदों पर काम कर चुके हैं।
शशि थरूर ने कुछ दिन पहले कहा था कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में देशभर के कार्यकर्ताओं का समर्थन हासिल है।
देखना होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में इन दोनों के अलावा क्या कोई और नेता भी शुक्रवार को नामांकन दाखिल करेगा या नहीं।
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