कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने कहा है कि कई जगहों पर प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के अध्यक्ष, कांग्रेस विधायक दल के नेता कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में दूसरे उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे को बुलाते हैं और ऐसा कई प्रदेश कांग्रेस कमेटियों में हुआ है। थरूर ने कहा कि ऐसा सिर्फ एक ही उम्मीदवार के लिए हुआ और उनके लिए कभी ऐसा नहीं होता।
बताना होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए 17 अक्टूबर को वोटिंग होनी है और 19 अक्टूबर को मतों की गिनती के साथ ही नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे।
थरूर ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि वह कई प्रदेश कांग्रेस कमेटियों के दफ्तर में गए तो उन्हें वहां पर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नहीं मिले। उन्होंने कहा कि वह कोई शिकायत नहीं कर रहे हैं क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में एक साधारण कार्यकर्ता और एक बड़े नेता के वोट की वैल्यू बराबर है।
थरूर ने कहा कि इस तरह की बातों से उन्हें बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन उन्होंने पत्रकारों से पूछा कि इस तरह के ट्रीटमेंट में क्या कोई फर्क नहीं है।
थरूर ने कहा कि अगर वह कांग्रेस अध्यक्ष बने तो उनकी कोशिश रहेगी कि सत्ता का विकेंद्रीकरण हो क्योंकि वर्तमान में जिला अध्यक्ष के चयन के लिए भी प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष को हाईकमान पर निर्भर रहना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पार्टी में पीसीसी डेलीगेट्स और बाकी पदों के लिए भी चुनाव होना चाहिए। थरूर ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि 22 साल तक कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव नहीं हुए हैं और सिस्टम में कुछ कमियां जरूर हैं।
हालांकि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में गांधी परिवार ने पूरी तरह तटस्थ रहने की बात कही है लेकिन फिर भी यह कहा जा रहा है कि गांधी परिवार का समर्थन पूर्व केंद्रीय मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ है।
लेकिन इस तरह की खबरों पर खड़गे ने कई मीडिया चैनलों को दिए इंटरव्यू में साफ किया है कि वह गांधी परिवार के उम्मीदवार नहीं हैं। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खड़गे के मुताबिक, सोनिया गांधी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस चुनाव में न तो गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा और न ही गांधी परिवार किसी का समर्थन करेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में 9,300 डेलीगेट मतदान करेंगे और यह सीक्रेट बैलेट के जरिये होगा।
मोदी लहर में भी जीते थरूर
केरल के तिरूवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर भी कांग्रेस के जाने-पहचाने चेहरे हैं और पढ़े-लिखे नेता हैं। वह मोदी लहर में भी चुनाव जीत कर आए हैं। शशि थरूर मनमोहन सिंह सरकार में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के साथ ही विदेश मंत्रालय में भी राज्य मंत्री रह चुके हैं। वह तीन दशक तक संयुक्त राष्ट्र में भी तमाम पदों पर काम कर चुके हैं।
सोनिया से हारे थे जितेंद्र प्रसाद
साल 2001 में जब कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान हुआ था तब जितेंद्र प्रसाद ने सोनिया गांधी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। लेकिन उन्हें बुरी तरह हार मिली थी।
उस चुनाव में सोनिया गांधी को 7448 वोट मिले थे जबकि जितेंद्र प्रसाद को सिर्फ 94 मत मिले थे। इसी तरह 1997 में सीताराम केसरी ने कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव लड़ा था तो उन्हें उस वक्त कांग्रेसी रहे शरद पवार और दिवंगत नेता राजेश पायलट ने चुनौती दी थी। उस चुनाव में सीताराम केसरी को 6224 वोट मिले थे शरद पवार को 882 और राजेश पायलट को 300 वोट मिले थे। उसके बाद से सोनिया और राहुल गांधी को अध्यक्ष पद के चुनाव में किसी तरह की चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा।
अपनी राय बतायें