समाजवादी नेता शरद यादव ने आख़िरकार अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल में विलय कर लिया। इस तरह से 25 साल बाद दोनों वयोवृद्ध समाजवादी नेता शरद यादव और लालू यादव एक साथ आ गए हैं।
शरद यादव ने अपनी पार्टी के विलय की घोषणा की। उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि देश में मज़बूत विपक्ष स्थापित करना समय की मांग है और इसलिए उन्होंने यह क़दम उठाया है। उन्होंने कहा है कि बिखरे हुए जनता दल और ऐसी समान विचारधारा वाले दलों को एकजुट होना चाहिए।
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— SHARAD YADAV (@SharadYadavMP) March 16, 2022
देश में मजबूत विपक्ष स्थापित करना समय की मांग है।मैं इस दिशा में न केवल बिखरी हुई तत्कालीन जनता दल बल्कि अन्य समान विचारधारा वाली पार्टियों को एकजुट करने के लिए लंबे समय से काम कर रहा हूं और इसीलिए अपनी पार्टी एलजेडी का राजद में विलय करने का फैसला किया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव ने रविवार को नई दिल्ली में अपनी पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल यानी एलजेडी को लेकर यह घोषणा की।
उन्होंने एएनआई से कहा है कि अभी तक एकीकरण हमारी प्राथमिकता है, उसके बाद ही हम सोचेंगे कि एकजुट विपक्ष का नेतृत्व कौन करेगा।
एलजेडी का पहली बार 2018 में गठन हुआ था। हालाँकि, इसके गठन के बाद भी शरद यादव ने 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान राजद के टिकट पर मधेपुरा से चुनाव लड़ा था। वह चुनाव हार गए थे। शरद यादव क़रीब 25 साल पहले लालू यादव से अलग हुए थे।
शरद ने कहा कि यह तत्कालीन जनता दल के विभिन्न अलग-अलग संगठनों को एक साथ लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा होगा।
राजद नेता और बिहार के विपक्ष के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने शरद को "पिता-तुल्य और समाजवादी आइकन' क़रार दिया। उन्होंने हाल ही में पटना में कहा था कि हर कोई भारतीय राजनीति में अनुभवी समाजवादी शरद यादव के महत्व को जानता है। उन्होंने कहा था कि वह पिता तुल्य हैं और हमारा मार्गदर्शन करेंगे।
शरद यादव ने इस विलय की घोषणा 4 दिन पहले ही की थी। उन्होंने कहा था कि देश में मौजूदा राजनीतिक स्थिति को देखते हुए हुए जनता परिवार को एक साथ लाने के प्रयास की यह पहल है। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि था कि स्वास्थ्य कारणों से बहुत समय तक वह अपने प्रयासों को आगे नहीं बढ़ा सके।
एक समय था जब 1989 में जनता दल के पास लोकसभा में 143 सीटें थीं। पार्टी ने मंडल आयोग की सिफारिशों को लागू करने के बाद विभिन्न सरकारों के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। लेकिन बाद में इसके बिखराव हो गया था और इससे टूटकर कई दल बने।
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