एनसीपी के मुखिया और भारत की सियासत के दिग्गज नेता शरद पवार ने कहा है कि कांग्रेस मुक्त भारत संभव नहीं है। पवार ने कहा है कि देश के लिए कांग्रेस की विचारधारा और उसके योगदान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। पवार ने यह बात पुणे में स्थित कांग्रेस के दफ्तर में आयोजित एक कार्यक्रम में कही।
बताना होगा कि बीजेपी के कई नेता कांग्रेस मुक्त भारत की बात कह चुके हैं। पवार ने अपने इस बयान से उन्हें जवाब देने की कोशिश की है।
पवार ने यह भी कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के साथ आगे बढ़ते रहेंगे।
बताना होगा कि शरद पवार ने कांग्रेस से ही अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। केंद्र सरकार में कई बार अहम मंत्रालय संभाल चुके शरद पवार ने साल 1999 में सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे पर कांग्रेस छोड़ दी थी और एनसीपी की स्थापना की थी। हालांकि बाद में उन्होंने कांग्रेस के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार भी चलाई।
पवार ने बीते दिनों को याद करते हुए कहा कि भारत की आजादी के बाद के दिनों में पुणे में कांग्रेस भवन एक अहम जगह थी और महाराष्ट्र का प्रशासन कांग्रेस भवन से चलता था। एनसीपी मुखिया ने मोदी सरकार पर हमला बोला और कहा कि वह केंद्रीय जांच एजेंसियों के जरिए अपनी ताकत का दुरुपयोग कर रही है।
यहां उन्होंने महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख और शिवसेना के सांसद संजय राउत का उदाहरण दिया। अनिल देशमुख को 1 साल से ज्यादा वक्त तक जेल में रहना पड़ा जबकि संजय राउत को भी 3 महीने से ज्यादा वक्त का समय जेल में गुजारना पड़ा।
महा विकास आघाडी सरकार
साल 2019 में महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव के बाद महा विकास आघाडी की सरकार बनाने में शरद पवार का अहम रोल रहा था। पवार ने विरोधी विचारधारा वाली कांग्रेस और शिवसेना को एक मंच पर लाने में कामयाबी हासिल की थी। महा विकास आघाडी की सरकार ढाई साल तक चल चुकी थी लेकिन इस साल जून में शिवसेना में हुई बगावत के बाद सरकार गिर गई थी।
2024 का चुनाव
शरद पवार का यह बयान इसलिए अहम है क्योंकि साल 2024 का लोकसभा चुनाव बेहद नजदीक है। उससे पहले 2023 में 10 राज्यों में विधानसभा के चुनाव भी होने हैं।एनडीए को चुनौती देने के लिए विपक्षी दलों के एक बड़े फ्रंट की जरूरत की बात बार-बार कही जा रही है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एनडीए छोड़कर महागठबंधन के साथ आने के बाद इस चर्चा ने जोर पकड़ा है। नीतीश कुमार कह चुके हैं कि कोई थर्ड फ्रंट नहीं बनेगा बल्कि एक मेन फ्रंट बनेगा।
शरद पवार ने कांग्रेस मुक्त भारत की बात को सिरे से नकार कर कांग्रेस के साथ अपने संबंधों के मजबूत होने का स्पष्ट संदेश दिया है। दूसरी और कांग्रेस भी खुद को मजबूत करने के लिए भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है। इस यात्रा के जरिए कांग्रेस ने तमिलनाडु से लेकर कश्मीर तक अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय किया है। हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में मिली जीत के बाद कांग्रेस उत्साहित है लेकिन आने वाले महीनों में उसे कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़,, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर में बड़ी चुनावी लड़ाई लड़नी है।
इसके साथ ही महाराष्ट्र में अगले कुछ महीनों में बीएमसी यानी बृहन्मुंबई महानगर पालिका के चुनाव होने हैं और उसके बाद लोकसभा चुनाव 2024 और उसके 6 महीने बाद विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में जब शिवसेना का उद्धव गुट बगावत के बाद बेहद कमजोर हो चुका है और बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट मजबूत हुए हैं तो महाराष्ट्र में अपनी राजनीतिक चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए शरद पवार उद्धव गुट और कांग्रेस के साथ मिलकर चुनावी लड़ाई लड़ने को तैयार दिख रहे हैं।
यह माना जा रहा है कि बीएमसी के चुनाव में यह दल मिलकर उतरेंगे और ऐसी स्थिति में बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट को मजबूत राजनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
कांग्रेस का प्रदर्शन भले ही कई राज्यों और लगातार दो लोकसभा चुनावों में ख़राब रहा हो लेकिन विपक्षी दलों में कांग्रेस ही एक ऐसी पार्टी है जिसका सभी राज्यों में मज़बूत संगठन है और तीन राज्यों में अपने दम पर सरकार भी। इसलिए पवार ने बीजेपी को संदेश दिया है कि कांग्रेस मुक्त भारत की उसकी कल्पना का कोई मजबूत आधार नहीं है।
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