एनसीपी के सहयोगी गठबंधन वाले दल शिवसेना (यूबीटी) ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार के बयान से विपक्षी एकता में दरार नहीं आएगी। बेशक वो अडानी मुद्दे पर जेपीसी जांच का समर्थन नहीं कर रहे हैं।
पत्रकारों से बात करते हुए, शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि पवार ने क्लीन चिट नहीं दी है, लेकिन जांच कैसे की जाए, इस पर अपने विचार व्यक्त किए।
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एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू में, पवार अडानी समूह के समर्थन में सामने आए और अडानी समूह पर हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट की कहानी की आलोचना की। पवार ने वही बात शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी दोहराई। पवार ने सलाह दी कि विपक्षी दल अपना ध्यान बेरोजगारी, महंगाई, किसानों पर लगाएं।
राउत ने शनिवार को कहा कि विपक्षी दल जेपीसी जांच की अपनी मांग पर अडिग है। उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ है।
राउत ने कहा- पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी या एनसीपी की राय अडानी के बारे में अलग-अलग हो सकती है, लेकिन इससे महाराष्ट्र या देश में (विपक्षी) एकता में दरार नहीं आएगी।
इससे पहले पवार ने कहा था कि उन्होंने अडानी समूह के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट की एक समिति का समर्थन किया था, क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी के पास संसद में संख्या शक्ति के आधार पर जेपीसी में बहुमत होगा और इससे इस तरह की जांच पर संदेह पैदा होगा। क्योंकि वो उसके ही पक्ष में होगी।
उन्होंने कहा- मैं जेपीसी का पूरी तरह से विरोध नहीं कर रहा हूं... लेकिन जेपीसी के बजाय, मेरी राय है कि सुप्रीम कोर्ट की समिति अधिक उपयोगी और प्रभावी है। वो ज्यादा विश्वसनीय है।
यूएसए फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अरबपति गौतम अडानी की फर्मों में स्टॉक हेरफेर और लेखा धोखाधड़ी का आरोप लगाया है। अडानी समूह ने रिपोर्ट के आरोपों का हमेशा खंडन किया है। कांग्रेस और राहुल गांधी ने इसे मुद्दे बनाया था। राहुल ने संसद में इस पर गंभीर आरोप लगाए थे। अन्य विपक्षी दलों ने भी संसद के बजट सत्र में पूरे समय अडानी के खिलाफ जेपीसी की मांग की है।
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अडानी समूह ने आरोपों का खंडन करते हुए दावा किया है कि वह देश में लागू सभी नियमों और विनियमों का अनुपालन करता है।
राउत ने यह भी दावा किया कि हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट ने जीवन बीमा और भारतीय स्टेट बैंक के पैसे का इस्तेमाल "सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के दोस्तों" की मदद के लिए किया जा रहा है।
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