बीते साल में अपने सियासी विरोधी अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ जंग लड़ चुके सचिन पायलट को इसकी बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी थी। जिस उम्र में अधिकतर लोग कांग्रेस में जिला अध्यक्ष भी नहीं बन पाते, उस उम्र में वे राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और बाद में उप मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन बग़ावत और जंग के कारण ये दोनों पद उनके हाथ से चले गए। उसके बाद से ख़ामोश बैठे पायलट इन दिनों किसान महापंचायतों के जरिये खोई हुई सियासी ऊर्जा हासिल कर रहे हैं। इससे उनके समर्थक भी जोश में हैं।