बीते साल में अपने सियासी विरोधी अशोक गहलोत के ख़िलाफ़ जंग लड़ चुके सचिन पायलट को इसकी बड़ी क़ीमत चुकानी पड़ी थी। जिस उम्र में अधिकतर लोग कांग्रेस में जिला अध्यक्ष भी नहीं बन पाते, उस उम्र में वे राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और बाद में उप मुख्यमंत्री बने थे। लेकिन बग़ावत और जंग के कारण ये दोनों पद उनके हाथ से चले गए। उसके बाद से ख़ामोश बैठे पायलट इन दिनों किसान महापंचायतों के जरिये खोई हुई सियासी ऊर्जा हासिल कर रहे हैं। इससे उनके समर्थक भी जोश में हैं।
राजस्थान: पायलट की किसान महापंचायतों में भीड़, आलाकमान को दिखाया दम
- राजनीति
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- 23 May, 2021

पायलट ने दौसा, भरतपुर और चाकसू में बड़ी किसान महापंचायतें की हैं और इनमें अशोक गहलोत और प्रदेश अध्यक्ष डोटासरा की मदद के बिना ही भीड़ जुटाकर आलाकमान तक अपने ‘जिंदा’ होने का पैगाम पहुंचाया है।
सचिन पायलट ने बीते कुछ दिनों में राजस्थान में कई जगहों पर किसान महापंचायतों का आयोजन कर राजस्थान में किसानों की लड़ाई का अगुआ बनने की कोशिश की है। इन दिनों उनकी सियासी हैसियत कम है। लेकिन बावजूद इसके उन्होंने इन महापंचायतों में अच्छी भीड़ जुटाई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ख़ुद दो दिन राजस्थान का दौरा कर कई किसान महापंचायतों को संबोधित कर चुके हैं।