राजस्थान में अगले महीने होने वाले चिन्तन शिविर से पहले राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख नेता सचिन पायलट ने गुरुवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की।एनडीटीवी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि सचिन ने राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जताई है। सचिन और सीएम अशोक गहलोत के बीच लंबे समय से राजनीतिक रस्साकशी चल रही है। सचिन समर्थक लंबे समय से उन्हें सीएम बनाने की मांग कर रहे हैं। एनडीटीवी को सूत्रों ने बताया कि बैठक राजस्थान और पार्टी में सचिन पायलट की भविष्य की भूमिका को लेकर थी, खासकर जब कांग्रेस अगले साल राज्य में चुनाव की तैयारी कर रही है। वो पहले राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री रह चुके हैं। लेकिन इसके बाद 2020 में उन्होंने पार्टी से विद्रोह किया, लेकिन कुछ समय बाद वे कांग्रेस में लौट आए।
सूत्रों ने कहा कि उनकी भूमिका और जिम्मेदारियों पर राजनीतिक फैसला कांग्रेस अध्यक्ष करेंगी। गुरुवार की
बैठक पिछले दो वर्षों में कांग्रेस छोड़ने वाले हाई प्रोफाइल के निकलने के बाद हुई है, जो राजस्थान की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण है। पिछले दिनों राहुल गांधी के सबसे करीबी सहयोगियों में सचिन पायलट को छोड़कर ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह जैसे नेता थे जो बीजेपी में चले गए। सचिन को भी बीजेपी में जाना था। लेकिन सचिन की शर्तें बीजेपी को मंजूर नहीं थीं। इसलिए बात बनी नहीं। फिर सचिन वापस कांग्रेस में लौट गए।
सचिन पायलट ने गांधी परिवार को कई बार स्पष्ट किया है कि वो राजस्थान के मुख्यमंत्री बनने के इच्छुक हैं। जब कांग्रेस ने 2018 का राजस्थान चुनाव जीता था, तब उसके पीछे सचिन की ही मेहनत थी। लेकिन जब सीएम चुने जाने का मौका आया तो वह बाहर हो गए थे। तब उन्होंने अनुभवी अशोक गहलोत के बाद डिप्टी सीएम की भूमिका निभाने के लिए राजी हो गए थे।
दो साल बाद, वह एक शिकायत लेकर दिल्ली आए, उनके साथ 18 विधायकों का समूह था, जिन्होंने सचिन का समर्थन किया। सचिन के विद्रोह से कांग्रेस की गहलोत सरकार गिरने वाली थी।
पायलट ने कुछ दिन पहले राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ बैठक की थी।
2020 में, गांधी परिवार ने उनकी शिकायतों पर गौर करने और अपने समर्थकों को पार्टी और राजस्थान सरकार में बेहतर हिस्सा देने के वादे के साथ उनके विद्रोह को खत्म कर दिया था।
अभी पिछले साल ही सचिन ने जब फिर दबाव बनाया तो उनके कुछ समर्थकों को गहलोत ने मंत्रिमंडल में जगह दी। लेकिन गहलोत उनका हर मौके पर विरोध करते आ रहे हैं। अब 2023 में राजस्थान विधानसभा का चुनाव है। सचिन इस मौके का फायदा उठाना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने गुरुवार को आखिरी बार गांधी परिवार का दरवाजा खटखटाया है। अगर उन्हें सही मौका नहीं दिया जाता है तो वो बीजेपी की तरफ मुड़ सकते हैं। बहरहाल, सचिन ने यह भी कहा है कि पार्टी उन्हें जो भी जिम्मेदारी देगी, उसे लेने के लिए वो तैयार हैं।
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