कांग्रेस के पूर्व
अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपनाम पर अपनी टिप्पणी को
लेकर मानहानि के मामले में गुजरात के सूरत सेशन कोर्ट से जमानत मिलने के बाद ट्वीट
करते हुए कहा कि 'यह लोकतंत्र को बचाने और मित्रकाल के खिलाफ लड़ाई
है'। इस संघर्ष में, सत्य मेरा अस्त्र है,
और सत्य ही मेरा आसरा है!"
राहुल गांधी 'मित्रकाल'
को लेकर लगातार केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। वह
प्रधानमंत्री पर अपने 'पूंजीपति मित्रों'
को फायदा पहुंचाने के लिए काम करने का आरोप लगाते
रहे हैं। 2023 के बजट को उन्होंने "मित्र काल बजट" कहा था। बजट सत्र के आखिरी दौर में ही उन्हें संसद की
सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया। जब उन्हें संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित
किया गया तब भी वे अडानी समूह पर हमलावर थे और समूह की जांच के लिए जेपीसी की मांग
कर रहे थे।
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उन्हें चार साल पहले मोदी
उपनाम को लेकर की गई एक टिप्पणी के मामले में दो साल की सजा सुनाई गई है। निचली
अदालत के फैसले के खिलाफ उन्होंने ऊपरी अदालत में अपील दायर की थी, जिसकी सुनवाई
के लिए वे आज सूरत पहुंचे हुए थे। कोर्ट ने उन्हें 13 अप्रैल तक के लिए जमानत दे दी।
मामले में राहुल गांधी को
आज जमानत मिल गई और उनकी दो साल कैद की सजा पर तब तक के लिए रोक लगा दी गई जब तक
कि अदालत सूरत मजिस्ट्रेट के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी अपील पर फैसला नहीं कर
लेती। मामले की अगली सुनवाई 13 अप्रैल को होगी।
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राहुल गांधी को सुनाई गई
दो साल की जेल की सजा के कारण उन्हें संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया
है। अगर सजा वापस नहीं ली जाती है, तो वह अयोग्य हो
जाएंगे और आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
जिस मामले में राहुल को दो
साल की सजा हुई और उन्हें अपनी संसद की सदस्यता गंवानी पड़ी वह 2019 के चुनाव प्रचार के दौरान एक टिप्पणी का है जिसमें
उन्होंने कहा था कि सभी चोरों का उपनाम मोदी ही क्यों है? उनकी इस टिप्पणी के
खिलाफ गुजरात विधानसभा के भाजपा विधायक और
गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया था।
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