जुलाई में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव की तैयारियों के लिए विपक्ष और बीजेपी ने क़दम आगे बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। बीजेपी की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह दोनों नेता इस संबंध में अलग-अलग राजनीतिक दलों के साथ बातचीत करेंगे। इनकी कोशिश देश के इस सबसे अहम संवैधानिक पद के लिए सभी दलों के बीच आम सहमति बनाने की होगी।
बता दें कि राष्ट्रपति के चुनाव के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा जबकि 21 जुलाई को नतीजे आएंगे। नामांकन की अंतिम तारीख 29 जून है और इस लिहाज से कुछ ही दिन का वक्त उम्मीदवार के चयन के लिए बचा है।
दूसरी ओर विपक्षी दल भी राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार कौन होगा इस काम में जुटे हुए हैं।
खड़गे को दी जिम्मेदारी
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को जिम्मेदारी दी है कि वह विपक्षी दलों के नेताओं के साथ इस संबंध में बातचीत करें। खड़गे से कहा गया है कि सभी विपक्षी दलों के बीच आम सहमति बनाई जाए जिससे संयुक्त उम्मीदवार उतारा जा सके।
मल्लिकार्जुन खड़गे से कहा गया है कि वह गैर एनडीए और गैर यूपीए दलों का इस मुद्दे पर मन टटोलें।
सोनिया गांधी ने इस संबंध में डीएमके प्रमुख एमके स्टालिन, एनसीपी के मुखिया शरद पवार, सीपीएम के नेता सीताराम येचुरी से भी बातचीत की है।
ममता ने लिखा पत्र
इसके साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी ने विपक्षी नेताओं को पत्र लिखा है और 15 जून को दिल्ली में एक बैठक बुलाने की मांग की है। टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने रविवार को मल्लिकार्जुन खड़गे से भी बातचीत की है। इसके साथ ही उनकी एआईसीसी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी बात हुई है। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, टीएमसी राष्ट्रपति के चुनाव में किसी राजनीतिक व्यक्ति को विपक्ष के उम्मीदवार के तौर पर उतारना चाहती है।
देखना होगा कि ममता बनर्जी के इस पत्र के बाद क्या विपक्षी दल एकजुट होंगे और क्या ममता और कांग्रेस एक मंच पर आएंगे। क्योंकि ममता और कांग्रेस के रिश्ते बीते कुछ वक्त में ठीक नहीं रहे हैं।
2017 में कोविंद जीते थे
उधर, बीजेपी की ओर से कहा गया है कि नड्डा और राजनाथ जल्द ही एनडीए में शामिल राजनीतिक दलों और विपक्षी यूपीए के अलावा अन्य राजनीतिक दलों और निर्दलीय सदस्यों के साथ चर्चा शुरू करेंगे। साल 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में विपक्षी दलों ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि उसने बहुत देर में उनसे संपर्क किया और वह पहले ही रामनाथ कोविंद का नाम इस पद के लिए फाइनल कर चुकी थी। तब विपक्ष की ओर से लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार को राष्ट्रपति चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया था जिसमें रामनाथ कोविंद को जीत मिली थी।
एनडीए का पलड़ा भारी
बीजेपी को हाल ही में 4 राज्यों में बड़ी चुनावी जीत मिली है। कई राज्यों में उसकी अपने दम पर सरकार है और कई जगह वह सहयोगियों के साथ मिलकर सरकार चला रही है। लोकसभा में उसके पास बहुमत से ज़्यादा सांसद हैं और राज्यसभा में भी वह मजबूत है। ऐसे में राष्ट्रपति के चुनाव में निश्चित रूप से बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए का पलड़ा भारी है।
इसके अलावा वह विपक्षी दलों जैसे जगन मोहन रेड्डी की वाईएसआर कांग्रेस और नवीन पटनायक की बीजेडी के साथ भी बातचीत कर रही है।
क्या करेगा विपक्ष?
जबकि क्या विपक्ष एकजुट होकर उम्मीदवार उतारेगा या वह बिखरा हुआ नजर आएगा, इस पर राजनीतिक विश्लेषकों की नज़रें टिकी हुई हैं।
यदि विपक्ष एकजुट नहीं हुआ तो एनडीए के उम्मीदवार की जीत आसान हो जाएगी। बीते दिनों तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव यानी केसीआर भी एक बार फिर सक्रिय हुए हैं। केसीआर ने बीते दिनों कई विपक्षी नेताओं से मुलाकात की और इस दौरान 2024 के चुनाव के साथ ही राष्ट्रपति के चुनाव को लेकर भी चर्चा होने की बात सामने आई थी।
विपक्षी उम्मीदवार के चयन में टीएमसी, डीएमके, शिवसेना, टीआरएस, आम आदमी पार्टी, वाम दलों का अहम रोल रहेगा। जबकि पांच राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की हालत बेहद पतली रही है इसलिए राष्ट्रपति के चुनाव में वह यूपीए के किसी उम्मीदवार को मजबूती से खड़ा नहीं कर पाएगी।
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