चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर क्या गुजरात के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए काम कर सकते हैं। हिंदुस्तान टाइम्स के मुताबिक प्रशांत किशोर ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से गुरुवार को मुलाकात की है। इस मुलाकात की जानकारी रखने वाले दो नेताओं ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि इस दौरान प्रशांत किशोर की गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए काम करने को लेकर बातचीत हुई। गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं।
मुलाकात के दौरान प्रशांत किशोर के पूर्व सहयोगी और चुनाव रणनीतिकार सुनील कानुगोलू भी मौजूद थे।
सुनील को कांग्रेस में 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों (विशेषकर कर्नाटक) के लिए कांग्रेस के प्रचार अभियान की योजना बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। सुनील की इस महीने की शुरुआत में राहुल गांधी से मुलाकात हुई थी। प्रशांत किशोर के सहयोगी के तौर पर सुनील बीजेपी, डीएमके, एआईएडीएमके और शिरोमणि अकाली दल के लिए काम कर चुके हैं।
राहुल और प्रियंका से मुलाकात के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा कि बहुत जल्द कुछ किए जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस तरह की भावना बन गई है कि बीजेपी ने ध्रुवीकरण का उत्तराखंड जैसे राज्य में भी इस्तेमाल किया और ऐसा दूसरे राज्यों में भी हो सकता है और इसलिए हमें कुछ करने की जरूरत है।
प्रशांत किशोर और सुनील ने साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए भी काम किया था। लेकिन बाद में सुनील बीजेपी के लिए काम करते रहे जबकि प्रशांत किशोर वहां से हट गए और उसके बाद उन्होंने नीतीश कुमार से लेकर ममता बनर्जी तक के लिए काम किया। इन दिनों प्रशांत किशोर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव को चुनावी सलाह देने का काम कर रहे हैं।
सुनील ने गांधी परिवार को बताया है कि अगर प्रशांत किशोर कांग्रेस के लिए गुजरात और हिमाचल प्रदेश में काम करते हैं तो उन्हें इससे कोई परेशानी नहीं होगी।
बीते साल इस बात की जोरदार चर्चा थी कि प्रशांत किशोर कांग्रेस के प्रचार अभियान का काम संभाल सकते हैं। प्रशांत किशोर की कांग्रेस में शामिल होने और उन्हें कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दिए जाने की भी चर्चा जोरों पर थी।
कांग्रेस को पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में करारी हार मिली है और इसके बाद उसके सामने खुद के अस्तित्व को बचाने की चुनौती पैदा हो गई है। करारी हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी के असंतुष्ट नेताओं से मुलाकात कर कलह खत्म करने की कोशिश की है।
हासिल करनी होगी जीत
इस साल के अंत में गुजरात और हिमाचल के बाद 2023 के चुनावी राज्यों के नतीजे तय करेंगे कि कांग्रेस 2024 के लोकसभा चुनाव में यूपीए की अगुवाई कर पाएगी या नहीं। क्योंकि लगातार शिकस्त खाने के कारण कांग्रेस कमजोर होने के साथ ही विपक्ष का नेतृत्व करने का भरोसा भी खो रही है।उसे ममता बनर्जी और के. चंद्रशेखर राव से भी चुनौती मिल रही है और ऐसे में उसके लिए चुनौतियां ज्यादा हैं।
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