कमलनाथ और उनके बेटे नकुल नाथ पाला बदलने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं के संपर्क में हैं। शनिवार को कमलनाथ के दिल्ली पहुंचने के बाद अटकलें चरम पर पहुंच गईं। हालांकि अभी तक वो यही कह रहे हैं कि अगर ऐसी कोई बात होगी तो वह पहले मीडिया को बताएंगे। लेकिन उन्होंने एक बार भी खंडन नहीं किया कि वो भाजपा में नहीं जा रहे हैं।
कांग्रेस सूत्रों ने इंडिया टुडे से कहा कि पार्टी "कमलनाथ को खुश करने के लिए बहुत झुक गई है"। कमलनाथ को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में सिंधिया की जगह चुना गया था, लेकिन वह पांच साल तक मुख्यमंत्री नहीं रह सके। उनकी जिद के कारण मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार गिर गई। इसके बाद भी पार्टी ने उन्हें एक और मौका दिया और उन्हें चेहरा बनाया गया। लेकिन उन्होंने दिल्ली से भेजे गए किसी भी व्यक्ति के साथ सहयोग करने से इनकार कर दिया।
सूत्रों ने कहा कि "कमलनाथ की वजह से पार्टी ने वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल को प्रभारी पद से हटाया कि कमलनाथ उन्हें प्रभारी के रूप में नहीं चाहते थे और उनके साथ काम करने से इनकार कर दिया था। बाद में रणदीप सुरजेवाला को भेजा गया, लेकिन कमल नाथ ने उन्हें भी नजरन्दाज कर दिया। यहां तक कि विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण और प्रचार सब कुछ अपने हिसाब से तय किया। पार्टी के पर्यवेक्षकों की कोई बात नहीं सुनी।
कमलनाथ को विधानसभा चुनावों के बाद पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया। भाजपा ने 230 सदस्यीय सदन में से 163 सीटों के साथ शानदार जीत हासिल की थी। कांग्रेस सिर्फ 66 सीटें जीतने में कामयाब रही। सूत्रों ने दावा किया कि कमलनाथ ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की और राज्यसभा में भेजने की मांग की। सूत्रों ने कहा, "मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम ने अपने नामांकन का समर्थन करने के लिए विधायकों की भी परेड कराई, लेकिन नेतृत्व ने इस बार उनकी बात मानने से इनकार कर दिया।"
कमलनाथ छिंदवाड़ा से नौ बार कांग्रेस सांसद रहे। उनके बेटे नकुल नाथ ने 2019 के चुनावों में सीट जीती, जबकि भाजपा ने राज्य की शेष 28 सीटों पर जीत हासिल की थी। लेकिन कमलनाथ पार्टी को हमेशा अपने से ऊपर नहीं मानते थे। कांग्रेस ने भी मध्य प्रदेश उनके हवाले कर दिया था। नतीजा सामने आ गया।
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