शिवसेना (यूबीटी) यानी उद्धव ठाकरे की पार्टी ने साफ कर दिया है कि वो विपक्ष के साथ शामिल है। विपक्षी दलों का जो भी फैसला होगा, उसका उन्हें समर्थन रहेगा। यूबीटी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कल सावरकर के मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को चेतावनी दी थी और शाम को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा बुलाई गई बैठक में उनकी पार्टी का सांसद शामिल नहीं हुआ था लेकिन उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने आज मंगलवार को स्थिति साफ कर दी। हालांकि उद्धव के बयान के बाद सत्ता पक्ष की बांछे खिल गई थीं और वे विपक्षी एकता टूटने का ख्वाब देखने लगे थे।
एएनआई के मुताबिक उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने मंगलवार को कहा कि वीर सावरकर क्रांतिकारी थे और उनका अपमान नहीं किया जाना चाहिए।
राहुल गांधी की टिप्पणी पर राउत ने कहा, वीर सावरकर एक क्रांतिकारी, स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक थे। हमने हमेशा वीर सावरकर का सम्मान किया है। उनका अपमान नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा, हमने मल्लिकार्जुन खड़गे से बात की है और हम इस मामले पर राहुल गांधी से बात करेंगे।
राउत की प्रतिक्रिया राहुल गांधी की "मेरा नाम सावरकर नहीं है और गांधी कभी माफी नहीं मांगते" टिप्पणी के बाद आई है। राउत की यह प्रतिक्रिया महत्वपूर्ण है। हालांकि उद्धव ने अपने बयान में मोदी की भी आलोचना की थी लेकिन कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने उस पर ध्यान नहीं देकर यह मान लिया कि उद्धव खेमा अब विपक्षी मोर्चे से बाहर हो गया है। समझा जाता है कि सावरकर मुद्दा भाजपा और शिंदे गुट न भुना ले, इसलिए उद्धव को कड़ा बयान देना पड़ा, बाकी उसकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है।
उन्होंने संसद में हंगामे को लेकर भी केंद्र सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार नहीं चाहती कि संसद चले लेकिन सभी गंभीर मुद्दों पर विपक्ष की आवाज को दबाना चाहती है।
राउत ने कहा - हम विपक्ष के साथ रहेंगे। विपक्ष जो भी निर्णय लेगा हम उसका पालन करेंगे। संसद की कार्यवाही नहीं हो रही है। यह सरकार पर है। यह नहीं चाहती कि संसद कार्य करे। वे विपक्ष की आवाज को दबाना चाहते हैं। सभी गंभीर मुद्दे - अडानी पर, राहुल गांधी पर, लोकतंत्र पर पूरा विपक्ष एकजुट है।
उद्धव ने कहा, सावरकर ने 14 साल तक अंडमान सेलुलर जेल में अकल्पनीय यातनाएं झेलीं। हम केवल पीड़ाओं को पढ़ सकते हैं। यह बलिदान का एक रूप है। हम सावरकर का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे।उद्धव के इस बयान को मीडिया के एक खास वर्ग ने इस रूप में पेश किया था कि मानो विपक्षी एकता टूट गई है, और टीएमसी के बाद शिवसेना (यूबीटी) भी पीछे हट गई है। लेकिन दोनों ही दलों ने अब अपनी स्थिति साफ कर दी है।
2019 में महाराष्ट्र में गठबंधन सरकार बनाने के बाद से ही कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की शिवसेना एनसीपी के साथ गठबंधन में हैं। बाद में एकनाथ शिंदे ने उद्धव से बगावत कर बीजेपी के साथ गठबंधन कर सत्ता संभाली थी। पिछले साल अपनी भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हिंदू विचारक सावरकर की राहुल गांधी की आलोचना ने कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की पार्टी के बीच दरार पैदा कर दी थी। हालांकि तब ठाकरे के खास सहयोगी संजय राउत ने राहुल गांधी के साथ मार्च में शामिल होने के साथ सहयोगियों ने उस समय मतभेदों को सुलझा लिया था।
शनिवार को, जब राहुल गांधी से ब्रिटेन में लोकतंत्र पर उनकी टिप्पणियों या "मोदी उपनाम" टिप्पणी के लिए माफी मांगने से इनकार करने के बारे में पूछा गया, जिसके कारण उन्हें अदालत में दोषी ठहराया गया, तो उन्होंने कहा: मेरा नाम सावरकर नहीं है। मेरा नाम है। गांधी हैं और गांधी माफी नहीं मांगते।
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