लोकसभा से राहुल गांधी की सदस्यता आनन फ़ानन ख़त्म करके बीजेपी ने साफ़ कर दिया है कि वो विरोधियों से आर पार की लड़ाई के लिए तैयार है। सवाल ये है कि अब कांग्रेस और ग़ैर बीजेपी पार्टियाँ क्या करेंगी। कांग्रेस अब भी विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी है और अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद भी राहुल गांधी कांग्रेस का चेहरा बने हुए हैं। कन्याकुमारी से कश्मीर तक की पद यात्रा के बाद राहुल से कांग्रेस की उम्मीदें बढ़ गयी थीं। कई अन्य ग़ैर बीजेपी पार्टियाँ भी राहुल की तरफ़ उम्मीद से देख रही थीं। राहुल के पास अभी गुजरात उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय का विकल्प है, लेकिन इस समय आक्रामक रूख लेकर चल रही बीजेपी का अगला क़दम क्या होगा, कहना मुश्किल है। आगे की लड़ाई इस बात पर भी निर्भर है कि ग़ैर बीजेपी पार्टियाँ कितनी एकजुटता दिखा पातीं हैं।

गैर भाजपाई दलों को एक सूत्र में पिरोने के लिए कोई मुद्दा चाहिए था, वो उन्हें राहुल गांधी के रूप में मिल गया है। लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि गैर भाजपाई दलों की एकता कब तक कायम रह पाती है। राजनीतिक विश्लेषक और वरिष्ठ पत्रकार शैलेश ने इसी का जायजा लिया है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक