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नीतीश कुमारः विपक्षी एकता की धुरी।

विपक्ष महासंगम में 15 दल पहुंचेंगे, भाजपा 'दबाव' में  

विपक्षी एकता को लेकर अब साफ हो गया है कि 23 जून को होने वाली बैठक में सभी दलों के प्रमुख पहुंचेंगे। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने भी आज गुरुवार को साफ कर दिया कि वो खुद इस बैठक में शामिल होंगे। एनसीपी प्रमुख का इस बैठक को लेकर यह पहला आधिकारिक बयान है। आरजेडी नेता और बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने गुरुवार 8 जून को कहा है कि कम से कम 15 विपक्षी दलों के नेता इस बैठक में हिस्सा लेंगे। भाजपा अब इस बैठक को लेकर दबाव में आ गई है। अभी तक भाजपा समर्थक मीडिया यह सवाल उठा रहा था कि प्रधानमंत्री के इतने दावेदारों के बीच एकता कैसे होगी। अभी भी पिछले दो दिनों से सवाल उठाया जा रहा है कि जब इस विपक्षी एकजुटता को कांग्रेस ही नेतृत्व देगी तो बाकी कैसे बर्दाश्त करेंगे।  

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए केंद्र की भाजपा सरकार के खिलाफ सभी विपक्षी दलों को एक साथ लाने के प्रयासों की अगुआई कर रहे हैं। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने के प्रयास के तहत, वह पहले ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल और एनसीपी प्रमुख शरद पवार जैसे लोगों से मिल चुके हैं।

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शरद पवार का ऐलान

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार ने गुरुवार को कहा कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्ष को लामबंद करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुलाई गई शीर्ष विपक्षी नेताओं की बैठक में भाग लेंगे। बता दें कि बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, शिवसेना यूबीटी के उद्धव ठाकरे, डीएमके प्रमुख स्टालिन और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस बैठक में आने की सहमति दी है। बसपा प्रमुख मायावती शुरू से ही इस एकता से दूर हैं। आंध्र प्रदेश के सीएम जगमोहन रेड्डी भाजपा के साथ बने हुए। बीजेडी भी 23 जून की बैठक से दूर है।

भाजपा डर गईः तेजस्वीः बहरहाल, बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने गुरुवार को दावा किया कि भाजपा 2024 का लोकसभा चुनाव लड़ने से 'डर' रही है, जिसमें उसे एकजुट विपक्ष का सामना करना पड़ सकता है।आरजेडी नेता 23 जून को पटना में होने वाले विपक्षी दलों के सम्मेलन को लेकर कुछ भाजपा नेताओं की टिप्पणियों के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।उन्होंने कहा, "यह तय करना बीजेपी का काम नहीं है कि विपक्ष के सम्मेलन का क्या प्रभाव पड़ने वाला है। वे लोकसभा चुनाव का सामना करने से डरे हुए हैं। वे हाल ही में हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव हार गए हैं। वे राज्यों में आने वाली हार की एक श्रृंखला देख रहे हैं। जैसे राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली और हरियाणा में भाजपा को करारी हार मिलने वाली है।"
विपक्षी एकता के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पिछले साल भाजपा को छोड़ दिया था, तब से लोकसभा चुनावों में एनडीए का मुकाबला करने के लिए "एकजुट विपक्ष" की वकालत कर रहे हैं।

तेजस्वी यादव और जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह 'ललन' ने बुधवार को घोषणा की थी कि विपक्षी दलों का सम्मेलन 23 जून को होगा और राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी और सीताराम येचुरी जैसे नेताओं ने बैठक में भाग लेने के लिए अपनी रजामंदी दे दी है।

यादव ने कहा कि 23 जून की बैठक में "लगभग 15 पार्टियों" का प्रतिनिधित्व रहेगा। हालांकि, भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के संस्थापक और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, 'हमने अब तक उनसे बात नहीं की है।' 
नीतीश कुमार के एनडीए से बाहर निकलने के तुरंत बाद, राव पिछले साल पटना गए थे, और विपक्ष की राष्ट्रीय एकता का समर्थन किया था। हालाँकि, ऐसी आशंकाएं हैं कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री किसी भी गठन में शामिल होने से कतरा सकते हैं, जिसमें कांग्रेस, वर्तमान में राज्य में उनकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी है।
इसके अलावा, हाल ही में बीआरएस ने पर्याप्त संकेत दिए हैं कि "एकजुट विपक्ष" का हिस्सा बनने के बजाय वह "तेलंगाना मॉडल" पेश करेगा।
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क़मर वहीद नक़वी
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