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ममता बनर्जी ने क्यों कहा- इंडिया के पीएम चेहरे का फैसला 2024 चुनाव के बाद

इंडिया गठबंधन दलों के बीच टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी का बयान चर्चा का विषय बना हुआ है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा था कि विपक्षी गठबंधन - इंडिया ब्लॉक के प्रधान मंत्री उम्मीदवार का फैसला 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद किया जाएगा। आखिर ममता ने यह बयान क्यों दिया और इसके पीछे की रणनीति क्या है। 

सौमवार शाम को ममता से पहले आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविन्द केजरीवाल ने 45 मिनट तक बात की। उसके बाद ममता की मुलाकात उद्धव ठाकरे और संजय राउत से हुआ। इन दोनों बैठकों के बाद ममता का यह बयान आया था। ममता ने एक बात और भी इशारों में कही थी कि हमारी भाजपा से विचारधारा की लड़ाई है। हमारी किसी व्यक्ति विशेष से कोई लड़ाई नहीं है।
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ममता का सोमवार का बयान मंगलवार की इंडिया बैठक से जुड़ा हुआ है। यह बहुत साफ है कि ममता, केजरीवाल और अखिलेश किसी भी रूप में कांग्रेस को इंडिया गठबंधन पर हावी नहीं होने देना चाहते। अगर इस बैठक में कांग्रेस 2024 में पीएम पद का कोई ख्वाब राहुल गांधी के लिए देख भी रही होगी तो वो अब चुप हो जाएगी। क्योंकि इंडिया का पहला टारगेट है एकजुटता कायम करना, जो मुंबई बैठक के बाद गायब है।
तृणमूल कांग्रेस नेता ने इंडिया की निर्धारित बैठक से एक दिन पहले दिल्ली में संवाददाताओं से कहा, "चुनाव के बाद, हर कोई फैसला करेगा।" पत्रकारों ने जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी की भूमिका के बारे में पूछा तो ममता बनर्जी ने कहा कि वह गठबंधन सहयोगियों के बारे में नहीं बोल सकतीं। उन्होंने कहा, "मैं किसी अन्य राजनीतिक दल के बारे में कुछ नहीं कह सकती।"

हालाँकि, उन्होंने कहा कि वह संयुक्त रैली के लिए तैयार हैं और वह गठबंधन की किसी भी पार्टी के लिए रैली करने की इच्छुक हैं।

ममता का बयान बेशक रणनीतिक है, लेकिन उन्होंने सत्तारूढ़ भाजपा को इस मुद्दे पर बयानबाजी का मौका दे दिया है। भाजपा पहले से ही कटाक्ष कर रही है कि विपक्ष अपना कोई नेता तक नहीं चुन पा रहा है। भाजपा का हमला अब और तेज हो जाएगा। भाजपा को यह भी कहने का मौका मिलेगा कि राहुल गांधी के नाम पर विपक्ष बंटा हुआ है।
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यह कोई रहस्य नहीं है कि कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को 2024 लोकसभा चुनाव के बाद पीएम देखना चाहती है। वो इसके लिए पूरी मेहनत कर रही है। कुछ विपक्षी दलों का समर्थन भी उसे प्राप्त है। जिसमें बिहार की आरजेडी यानी लालू-तेजस्वी, महाराष्ट्र के उद्धव ठाकरे और कम्युनिस्ट पार्टियां प्रमुख हैं। जेडीयू, टीएमसी, सपा और डीएमके के पास खुद पीएम दावेदार मौजूद हैं। बहरहाल, पहला मसला है इंडिया गठबंधन की एकजुटता और सीट बंटवारा, उसके बाद नेता का सवाल आएगा।
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क़मर वहीद नक़वी
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