कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि सोनिया गांधी के द्वारा उन्हें उम्मीदवार बनाए जाने की बात पूरी तरह झूठ है। मीडिया में इस तरह की खबरें आई थी कि खड़गे कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में गांधी परिवार के उम्मीदवार हैं। लेकिन मल्लिकार्जुन खड़गे ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में इस तरह की खबरों को खारिज कर दिया।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खड़गे ने कहा कि किसी ने इस तरह की स्टोरी को प्लांट किया है और ऐसा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस पार्टी और उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है।
बताना होगा कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए 17 अक्टूबर को वोटिंग होनी है और 19 अक्टूबर को मतों की गिनती के साथ ही नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे। इस चुनाव में खड़गे के सामने पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर हैं।
मल्लिकार्जुन खड़गे बीते कुछ सालों में लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस के चर्चित चेहरे रहे हैं। 80 साल के मल्लिकार्जुन खड़गे को गांधी परिवार का बेहद भरोसेमंद माना जाता है।
खड़गे ने कहा कि जब से उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के लिए अपना प्रचार शुरू किया है, उन्होंने कहीं भी यह नहीं कहा कि सोनिया गांधी ने उनसे चुनाव लड़ने के लिए कहा।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खड़गे के मुताबिक, सोनिया गांधी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस चुनाव में न तो गांधी परिवार का कोई सदस्य चुनाव लड़ेगा और न ही गांधी परिवार किसी का समर्थन करेगा।
खड़गे ने इस बारे में इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में कहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में सभी वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें समर्थन दिया और वरिष्ठ नेताओं के कहने पर ही वह यह चुनाव लड़ रहे हैं। खड़गे ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में नामांकन करने से ठीक पहले वह सोनिया गांधी से नहीं मिले थे।
कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में 9,300 डेलीगेट मतदान करेंगे।
कौन हैं खड़गे?
खड़गे ने छात्र राजनीति से सियासत में पांव रखा और इसके बाद गुलबर्ग शहर कांग्रेस के अध्यक्ष के तौर पर अपने राजनीतिक जीवन को आगे बढ़ाया। खड़गे 8 बार कांग्रेस के विधायक रहे। साथ ही लोकसभा और राज्यसभा में कांग्रेस के नेता भी रहे। वर्तमान में वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता हैं।
तीन बार मुख्यमंत्री बनने से चूके
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, खड़गे तीन बार कर्नाटक के मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे। खड़गे साल 1999, 2004 और 2013 में कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनने की दौड़ में थे लेकिन वह मुख्यमंत्री नहीं बन सके थे। इन तीनों मौकों पर क्रमशः एसएम कृष्णा, धर्म सिंह और सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने थे।
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खड़गे कर्नाटक में कांग्रेस की कई सरकारों में मंत्री भी रहे और विधानसभा में विपक्ष के नेता भी। इसके अलावा वह कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष जैसे अहम पद पर भी रह चुके हैं। साल 2009 में जब उन्होंने पहली बार लोकसभा का चुनाव जीता तो वह राष्ट्रीय राजनीति में आए। मनमोहन सिंह की सरकार में उन्होंने श्रम मंत्री रहने के अलावा रेलवे और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय भी संभाला।
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