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राजनाथ सिंह

लोकसभा स्पीकर पर जंग तेजः विपक्ष से बात करने के लिए राजनाथ की ड्यूटी क्यों लगाई

भाजपा लोकसभा स्पीकर पद पर अपना बंदा बैठाने के लिए हर तरह की रणनीति का इस्तेमाल कर रही है। उसने सहयोगी दलों की ओर से इस मुद्दे पर पूरी सहमति पा ली है। यही वजह है कि जेडीयू और टीडीपी ने अभी तक इस पर किसी तरह का संकेत नहीं दिया है। जेडीयू नेताओं के बयान भी बंद हैं। लेकिन विपक्ष जरूर सक्रिय है।

मोदी-अमित शाह ने अब लोकसभा में उप नेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अध्यक्ष के नाम पर आम सहमति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। बीजेपी सूत्र मीडिया को यह बार-बार बता रहे हैं कि जेडीयू और टीडीपी की ओर से अभी तक कोई अड़चन नहीं डाली गई है। दोनों सहयोगी दलों ने अभी तक अपनी कोई शर्त भी नहीं रखी है। असली मसला विपक्ष है। जिससे बातचीत की जा रही है।

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किनके नाम हैं रेस में

स्पीकर पद के लिए जिन संभावितों के नाम चर्चा में हैं उनमें शामिल हैं: सात बार के लोकसभा सांसद भर्तृहरि महताब, जो हाल ही में बीजू जनता दल छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं और तीन बार की लोकसभा सांसद डी. पुरंदेश्वरी।

महताब कटक से मौजूदा सांसद हैं और डी. पुरंदेश्वरी ने हाल ही में आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी से जीत हासिल की है। वह बीजेपी की आंध्र प्रदेश अध्यक्ष भी हैं और उन्होंने टीडीपी के एन. चंद्रबाबू नायडू को एनडीए के पाले में लाने में मदद की थी। इस कदम से 4 जून के नतीजों के बाद सारा फर्क पड़ा, जब टीडीपी 16 सीटों के साथ किंगमेकर बनकर उभरी और पीएम नरेंद्र मोदी की तीसरी दावेदारी का समर्थन करने का फैसला किया।
सरकार चाह रही है कि लोकसभा स्पीकर का पद आम सहमति से भरा जाए। इसीलिए सरकार ने लोकसभा में उपनेता और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को अध्यक्ष के नाम पर आम सहमति बनाने की जिम्मेदारी सौंपी है। वो एक दो दिन में प्रमुख विपक्ष दलों के नेताओं से बात करेंगे। दरअसल, विपक्ष के बीच राजनाथ की छवि एक सौम्य और गंभीर नेता की है। राजनाथ की बात विपक्ष गौर से सुनता है। इसलिए राजनाथ की ड्यूटी लगाई गई है।

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दरअसल, कुल मिलाकर विपक्ष का सारा दारोमदार जेडीयू और टीडीपी पर है। जेडीयू ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते भाजपा को यह पद मिलना चाहिए। टीडीपी सूत्रों ने कहा है कि वे किसी भी अन्य चीज से ज्यादा आंध्र प्रदेश की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में दिलचस्पी रखते हैं। यानी इस पद पर वो अड़ना नहीं चाहते हैं। वैसे भी जब मोदी-अमित शाह चंद्रबाबू नायडू की साली डी. पुरुंदेश्वरी को ही स्पीकर बनाना चाहते हैं तो टीडीपी वैसे भी नहीं बोलेगी। 

कांग्रेस की तरफ से अभी भी प्रयास जारी हैं। कांग्रेस ने डिप्टी स्पीकर का पद मांगा है। नहीं मिलने पर स्पीकर पद के लिए चुनाव लड़ने का संकेत दिया है। मोदी-अमित शाह इस पद के लिए चुनाव से बचना चाहते हैं। बहरहाल, रस्साकशी जारी है।
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क़मर वहीद नक़वी
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