सवाल- बिहार की जीत से संतुष्ट हैं या कुछ कमी-पेशी रह गई?
बीजेपी की विचारधारा लोकतंत्र के लिए ख़तरा: दीपांकर
- राजनीति
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- 23 Nov, 2020

बिहार विधानसभा चुनाव में वाम दलों के प्रदर्शन से लोग हैरान हैं क्योंकि उन्हें उम्मीद से ज़्यादा सफलता मिली है। क्या इसके बाद देश में एक मजबूत विपक्ष के गठन का रास्ता तैयार होगा, बंगाल चुनाव में माले की क्या रणनीति रहेगी, जनता की आवाज़ को माले कैसे बुलंद करेगा, ऐसे ही तमाम सवालों पर भाकपा (माले) के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य से बात की वरिष्ठ पत्रकार अनिल शुक्ल ने।
जवाब- पूरी तरह संतुष्ट तो नहीं हो सकते क्योंकि लक्ष्य था एनडीए सरकार को रोकना और महागठबंधन की पूरी जीत। वह लक्ष्य तो पूरा नहीं हो पाया। हम लोग समझते थे कि पंद्रह सीट जीतनी चाहिए थी लेकिन तीन सीट कम मार्जिन से नहीं जीत पाए इसलिए, थोड़ा अफ़सोस ज़रूर है। लेकिन ओवरऑल रिज़ल्ट्स से बिहार और पूरे देश के लिए एक मज़बूत विपक्ष उभर कर आया। मुझे लगता है कि अपने आप में भी यह एक बड़ी जीत है। सरकार नहीं बदली लेकिन बीजेपी का जिस तरह से विपक्ष रहित लोकतंत्र या एक दल शासन का जो इरादा है, उस पर बिहार ने एक ज़बरदस्त चोट की है।