बीजेपी को मात देकर पश्चिम बंगाल के सियासी किले को बचाए रखने में कामयाब रहीं ममता बनर्जी टीएमसी के सियासी विस्तार में जुटी हुई हैं। ऐसा करना ग़लत भी नहीं है लेकिन जिस तरह उनकी नज़र कांग्रेस के नेताओं पर है, वह कहीं न कहीं उनके द्वारा की जा रही विपक्षी एकता की कोशिशों के ख़िलाफ़ जाता है।
ममता ने बीते दिनों कांग्रेस के दो बड़े नेताओं को टीएमसी में शामिल कराया है। इनमें पहला नाम है सुष्मिता देव का और दूसरा लुईजिन्हो फलेरो का। सुष्मिता देव महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष जैसे आला ओहदे पर थीं और राहुल गांधी के क़रीबियों में भी शुमार थीं। जबकि फलेरो गोवा के मुख्यमंत्री रहे हैं और इस बार गोवा के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए बड़ा रोल निभा सकते थे। लेकिन ममता दीदी ने उन्हें झटक लिया।
अब तीसरा नंबर जिस नेता का लगने जा रहा है, उसका नाम है ललितेश पति त्रिपाठी। ललितेश ने कुछ दिन पहले ही कांग्रेस को अलविदा कहा है और उनके बारे में चर्चा है कि टीएमसी उन्हें उत्तर प्रदेश में कोई बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। ललितेश कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के क़रीबी थे और उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष भी थे।
ललितेश सियासी रसूख वाले परिवार से आते हैं। उनके दादा कमलापति त्रिपाठी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे थे और मिर्जापुर-वाराणसी के इलाक़े में उनका ख़ासा जनाधार था।
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निश्चित रूप से ऐसे में जब वे राज्यों में कांग्रेस के क्षत्रपों पर डोरे डालेंगी तो किसी भी फ्रंट में कांग्रेस का उनके साथ आना संभव नहीं होगा।
हाल ही में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में भी यह बात उठी थी कि ममता बनर्जी कांग्रेस के नेताओं को टीएमसी में शामिल कर रही हैं।
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दीदी की सियासी ख़्वाहिश
पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करने के बाद दीदी अब टीएमसी का विस्तार करना चाहती हैं। उनकी कोशिश 2024 के आम चुनाव तक टीएमसी को कांग्रेस की जगह पर मुख्य विपक्षी दल बनाने की है और इसके लिए वह जी-जान से जुटी हुई हैं।
ममता की नज़र गोवा, उत्तर प्रदेश के अलावा त्रिपुरा पर भी है। साथ ही वह असम, मेघालय सहित कई और राज्यों में भी कांग्रेस व अन्य दलों से मजबूत नेताओं को लाकर टीएमसी को कांग्रेस का विकल्प बनाना चाहती हैं।
प्रशांत किशोर की भूमिका
इस तरह की ख़बरें भी आम हैं कि कांग्रेस नेताओं के टीएमसी में जाने को लेकर पर्दे के पीछे से जो शख़्स भूमिका निभा रहा है, उसका नाम प्रशांत किशोर है। प्रशांत किशोर चुनावी रणनीतिकार हैं और बीजेपी, कांग्रेस सहित तमाम दलों के लिए काम करने के बाद इन दिनों उनकी टीम ममता बनर्जी के लिए काम कर रही है जबकि वे कांग्रेस में आने के इच्छुक और पार्टी को सलाह देते दिखाई देते हैं।
हालांकि पश्चिम बंगाल से बाहर टीएमसी का कोई आधार नहीं है लेकिन फिर भी ममता बनर्जी की कोशिश है कि वह 2024 में बंगाल की सारी लोकसभा सीटें और बाहर के राज्यों से दो-चार सीटें झटककर टीएमसी को पहले या दूसरे नंबर की मुख्य विपक्षी पार्टी बना दें और कांग्रेस को पीछे धकेल दें।
निश्चित रूप से ऐसे वक़्त में जब कांग्रेस कमजोर हो रही है तो उसके नेताओं को तोड़ना सियासी कुटिलता ही है। यही काम बीजेपी भी इतने सालों से कर रही है और अब टीएमसी भी।
कांग्रेस के नेताओं को टीएमसी में शामिल कर अपनी पार्टी को मज़बूत करने की ममता बनर्जी की यह क़वायद निश्चित रूप से विपक्षी एकता को कमज़ोर करेगी और ये बात ममता बनर्जी को भी समझनी होगी।
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