कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल के द्वारा गांधी परिवार पर हमला बोलने के बाद पार्टी के कई नेताओं ने पलटवार किया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि कपिल सिब्बल कांग्रेस की संस्कृति के आदमी नहीं हैं।
गहलोत से पहले कांग्रेस सांसद मनिक्कम टैगोर ने भी सिब्बल पर हमला बोला था और उनसे पूछा था कि वह बीजेपी और संघ की भाषा क्यों बोल रहे हैं।
अशोक गहलोत ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि कपिल सिब्बल एक जाने-माने वकील हैं और कांग्रेस में आए हैं। सोनिया और राहुल गांधी ने उन्हें जमकर मौके दिए हैं और ऐसा शख्स जो कांग्रेस की एबीसी नहीं जानता उससे ही इस तरह के बयान देने की उम्मीद की जा सकती है।
गहलोत ने जयपुर में पत्रकारों से बातचीत में भी कहा कि कपिल सिब्बल का बयान बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और ऐसे वक्त में जब पार्टी चुनाव हार रही है तो नेताओं को एकजुट होकर खड़े हो जाना चाहिए।
कांग्रेस के बेहद अनुभवी नेता गहलोत ने कहा कि कांग्रेस ही केवल ऐसी पार्टी है जो बीजेपी के खिलाफ लड़ सकती है।
गहलोत ने कहा कि जो लोग कांग्रेस के खत्म होने की बात कर रहे हैं वे खुद ही खत्म हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस वर्षों पुरानी पार्टी है और हमारे नेताओं ने देश की आजादी से पहले और बाद में कई बड़े त्याग किए हैं।
इससे पहले मनिक्कम टैगोर ने ट्वीट कर कहा था, “संघ और बीजेपी क्यों नेहरू-गांधी परिवार को नेतृत्व से बाहर कर देना चाहते हैं क्योंकि गांधी परिवार के नेतृत्व के बिना कांग्रेस जनता पार्टी बन जाएगी और तब कांग्रेस को खत्म करना और आइडिया ऑफ इंडिया को ध्वस्त करना आसान हो जाएगा।”
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के कट्टर समर्थक माने जाने वाले टैगोर ने कहा कि कपिल सिब्बल इस बात को जानते हैं लेकिन इसके बाद भी वह बीजेपी और संघ की भाषा क्यों बोल रहे हैं।
यह तय माना जा रहा था कि पांच चुनावी राज्यों में हार के बाद कांग्रेस में घमासान होगा।
ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस इस बार उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में अच्छा प्रदर्शन करेगी और पंजाब में फिर से सत्ता में वापसी करेगी। हालांकि उत्तर प्रदेश को लेकर बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं थी लेकिन प्रियंका गांधी वाड्रा ने वहां पर काफी पसीना बहाया था। लेकिन बावजूद इसके कांग्रेस किसी भी राज्य में संतोषजनक प्रदर्शन नहीं कर सकी है।
कांग्रेस में G-23 गुट बीते 3 साल से गांधी परिवार पर हमलावर है और चुनावी राज्यों में हार के बाद कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ाने का काम करता रहा है।
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