विनायक दामोदर सावरकर, संघ और भाजपा का वैचारिक पितामह तो वहीं कांग्रेस और सेक्युलर दलों के लिए एक अपराधी जो देश के सबसे बड़े महानायक गांधी की हत्या में शामिल था। अलग-अलग समय पर करीब पंद्रह साल तक सरकार चलाने के बाद भी भाजपा अभी तक अपने पितृ पुरुष को मुख्यधारा में शामिल नहीं करा पाई है। और सावरकर गाहे-बगाहे चर्चा में आ ही जाता है।