पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
जीत
पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
जीत
कल्पना सोरेन
जेएमएम - गांडेय
जीत
कांग्रेस के पुराने नेता हरीश रावत ने बुधवार को एक ट्वीट कर हाईकमान से अपनी नाराज़गी का खुलकर इजहार किया। रावत की ग़िनती उन नेताओं में होती है, जिन्हें हाईकमान के आदेश को सिर झुकाकर स्वीकार करने वाला माना जाता है। लेकिन यह पहली बार है जब उन्होंने भी अपनी नाराज़गी को खुलेआम सामने रखा है।
2014 के बाद से ऐसे दिग्गज कांग्रेसियों के नामों की एक लंबी फेहरिस्त है, जिन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया। इनमें से बहुत सारे लोगों के बारे में कहा जा सकता है कि वे हवा के रूख़ के साथ बह गए जबकि कुछ के बारे में ये भी कहा जा सकता है कि वे कांग्रेस में जिस तरह कामकाज चल रहा है, उससे नाख़ुश थे।
कांग्रेस में G-23 नेताओं का एक बड़ा गुट है, जो पिछले एक साल से कांग्रेस हाईकमान से तमाम मसलों पर खुलकर नाराज़गी जताता रहा है। इस गुट में भी ग़ुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा, भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसे तमाम पुराने नेता शामिल हैं।
ग़िने-चुने राज्यों में सरकार चला रही कांग्रेस इन राज्यों में भी वहां के क्षत्रपों को पार्टी के साथ जोड़कर नहीं रख पा रही है। पंजाब में लंबे वक़्त तक चले घमासान के बाद पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी पार्टी बना ली और आज वे पंजाब में कांग्रेस के लिए बड़ी मुसीबत बन गए हैं। इसी तरह बहुत मुश्किलों के बाद राजस्थान और छत्तीसगढ़ में पार्टी नेताओं के घमासान को टाला जा सका।
2014 के बाद से चौधरी बीरेंद्र सिंह, एसएम कृष्णा, टाम वडक्कन, अशोक तंवर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद, हिमंता बिस्वा सरमा सहित कई नेता पार्टी छोड़कर चले गए।
हाल ही में सुष्मिता देव, कीर्ति आजाद, लुइजिन्हो फलेरो के अलावा मेघालय में 12 विधायकों ने पार्टी का साथ छोड़ दिया। क्षेत्रीय नेताओं की बग़ावत की वजह से मध्य प्रदेश, कर्नाटक में सरकार तक गिर गई।
उत्तराखंड से लेकर गुजरात और गोवा से लेकर कर्नाटक, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में कांग्रेस के विधायक पार्टी को छोड़कर चले गए।
लेकिन इन सभी को यह कहकर दोषी नहीं ठहराया जा सकता कि ये सत्ता के लालच की वजह से चले गए। यह भी तथ्य है कि कांग्रेस हाईकमान इनकी समस्याओं को नहीं सुलझा सका।
ऐसे वक़्त में जब पांच राज्यों के चुनाव सामने हैं और पार्टी को टीएमसी, आम आदमी पार्टी से कुछ राज्यों में बड़ी चुनौती मिल रही है। तब, कांग्रेस हाईकमान को अपने किले को दुरुस्त करते हुए इन राज्यों में अपने नेताओं को मज़बूती देते हुए चुनाव में जाना चाहिए लेकिन उत्तराखंड जैसे छोटे राज्य में भी पार्टी ऐसा नहीं कर पा रही है।
उत्तर प्रदेश, गोवा में भी चुनाव होने हैं और वहां भी कई नेता पार्टी छोड़ चुके हैं।
कांग्रेस हाईकमान को यह सवाल ख़ुद से ही करना चाहिए कि उसके कामकाज के तरीक़े में कौन सी कमी है, जो इतने पुराने नेता भी या तो नाराज़ हैं या पार्टी छोड़कर गए हैं। इसका जवाब हाईकमान जितनी जल्दी खोज ले, उतना पार्टी के मुस्तकबिल के लिए बेहतर है।
About Us । Mission Statement । Board of Directors । Editorial Board | Satya Hindi Editorial Standards
Grievance Redressal । Terms of use । Privacy Policy
अपनी राय बतायें