अडानी विवाद पर केंद्र की बीजेपी सरकार की पहली प्रतिक्रिया आज शुक्रवार 3 फरवरी को आई है। सरकार ने कहा कि उसका अडानी समूह के मुद्दे से कुछ भी मतलब नहीं है। संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह बयान संसद कैंपस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान दिया।
अडानी समूह के खिलाफ अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग के आरोपों को लेकर संसद के दोनों सदनों में हंगामा जारी है। दोनों सदन ढाई बजे तक स्थगित हैं। लेकिन इसी दौरान प्रह्लाद जोशी पत्रकारों तक पहुंचे और यह बात कही।
संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि सरकार का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है और दूसरे मुद्दों से पीछा छुड़ाने के लिए विपक्ष इसे उठा रहा है। सच तो यह है कि विपक्ष के पास कोई मुद्दा ही नहीं है।
संसदीय कार्य मंत्री के शब्द हैं - सरकार का इससे (अडानी समूह के मुद्दे) से कोई लेना-देना नहीं है ... विपक्ष सदन को बाधित कर रहा है क्योंकि उसके पास कोई अन्य मुद्दा नहीं है।
इससे पहले, संसद के दोनों सदनों को शुक्रवार दोपहर तक (लोकसभा दोपहर 2 बजे तक और राज्यसभा दोपहर 2:30 बजे तक) बुलाए जाने के कुछ ही मिनटों के भीतर स्थगित कर दिया गया था, क्योंकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर बहस की मांग की थी। जिसका बीजेपी सांसदों ने शोर-शराबा करते हुए विरोध किया था।
अडानी समूह के शेयर शुक्रवार को भी डूबते रहे। समूह की तीन कंपनियों की बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज निगरानी कर रहे हैं। अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज डाउ जोंस ने कहा है कि वो 7 फरवरी को अपने इंडेक्स से अडानी समूह की कंपनियों को हटा देगा।
हिंडनबर्ग ने कहा कि अडानी समूह एक स्टॉक में खुलेआम हेरफेर करने और अकाउंट की धोखाधड़ी में शामिल था। हिंडनबर्ग ने कहा कि अडानी समूह भारत को व्यवस्थित तरीके से लूट रहा है। हिंडनबर्ग रिसर्च के इस आरोप पर अडानी समूह ने कहा है कि दुर्भावनापूर्ण, निराधार, एकतरफा और उनके शेयर बिक्री को बर्बाद करने के इरादे ऐसा आरोप लगाया गया है। इसने कहा है कि अडानी समूह आईपीओ की तरह ही फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफ़र यानी एफ़पीओ ला रहा है और इस वजह से एक साज़िश के तहत कंपनी को बदनाम किया जा रहा है।
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