गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ने के साथ ही 5 पन्नों का इस्तीफे का पत्र पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा है। इस पत्र में उन्होंने पार्टी छोड़ने के लिए पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को जिम्मेदार ठहराया है।
- आजाद ने इस्तीफे के पत्र में सोनिया गांधी को संबोधित करते हुए लिखा है कि दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से जब राहुल गांधी की राजनीति में एंट्री हुई और विशेषकर जनवरी 2013 के बाद जब उन्हें आपके द्वारा पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया, पार्टी में परामर्श तंत्र का जो ढांचा था, राहुल ने उसे ध्वस्त कर दिया।
- सभी वरिष्ठ और तजुर्बेकार नेताओं को किनारे लगा दिया गया और अनुभवहीन और चापलूस लोग पार्टी को चलाने लगे।
- यूपीए-2 की सरकार के कार्यकाल के दौरान राहुल गांधी के द्वारा मीडिया के सामने एक सरकारी अध्यादेश को फाड़ा जाना उनकी अपरिपक्वता का सबसे बड़ा सबूत है। जबकि उस अध्यादेश को कांग्रेस के कोर ग्रुप के सामने रखा गया था और इसे केंद्रीय कैबिनेट और राष्ट्रपति के द्वारा स्वीकृति भी दी गई थी।
- राहुल गांधी के इस बचकाने व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार की ताकत को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। 2014 में यूपीए सरकार की हार में इस एक ही काम का सबसे बड़ा योगदान रहा।
- 2014 से आपके नेतृत्व में और उसके बाद राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस दो लोकसभा चुनावों में बुरी तरह से हार गई है। 2014-2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से 39 में उसे हार का सामना करना पड़ा। पार्टी ने केवल चार राज्यों में चुनाव जीता और छह राज्यों में वह गठबंधन सरकार में शामिल हो सकी।
- दुर्भाग्य से आज कांग्रेस केवल दो राज्यों में शासन कर रही है और दो अन्य राज्यों में बेहद मामूली गठबंधन सहयोगी है।
- 'रिमोट कंट्रोल मॉडल' ने यूपीए सरकार की संस्थागत अखंडता को ध्वस्त कर दिया और अब यह मॉडल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लागू हो गया है।
कांग्रेस के बड़े मुसलिम चेहरे रहे आजाद ने लिखा है कि आप (सोनिया गांधी) सिर्फ नाममात्र के लिए हैं और सभी महत्वपूर्ण निर्णय या तो राहुल गांधी के द्वारा लिए जा रहे थे या फिर उनके सुरक्षा गार्डों और पीए के द्वारा।
गुलाम नबी आजाद ही वह नेता हैं जिनकी कयादत में कुछ साल पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर पार्टी में बड़े बदलावों की मांग की गई थी। आजाद कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 के प्रमुख चेहरे हैं।
आजाद ने कई बार कांग्रेस नेतृत्व के खिलाफ नाराजगी जताई थी। बीते साल दिसंबर में उन्होंने कहा था कि कांग्रेस की वर्तमान पीढ़ी सुझावों को स्वीकारने को तैयार नहीं दिखती और वरिष्ठ नेताओं की ओर से दी गई सलाहों को अपराध या विद्रोह के रूप में देखती है। उनका इशारा राहुल व प्रियंका गांधी की ओर था।
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