देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर फिर से गांधी परिवार की शरण में जाते कांग्रेसी नेताओं को देखकर मुझे बचपन में हनुमान जी की पूजा के वक्त गाई जाने वाली यह लाईन बार बार याद आ रही है- ‘को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो’।
क्या कांग्रेस गांधी परिवार के बिना चल सकती है?
- राजनीति
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- 19 Oct, 2021

आज़ादी के बाद से 14 गैर नेहरू-गांधी कांग्रेसी अध्यक्ष रहे हैं और उनकी सफलता की दर 57 फीसद रही है। राजीव गांधी, सोनिया गांधी और राहुल गांधी तीनों के ही नेतृत्व में कांग्रेस ने चुनाव हारे हैं। सोनिया और राहुल गांधी के रहते हुए कांग्रेस लोकसभा में अपनी सबसे कम सीटों 2014 में 44 और 2019 में 52 पर पहुंच गई।
कांग्रेस के ज़्यादातर नेताओं को भी यही लगता है कि कांग्रेस का संकटमोचक सिर्फ़ नेहरू-गांधी परिवार है और इसके मायने सोनिया गांधी-राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा हैं। शायद इसीलिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद केसी वेणुगोपाल ने ज़ोर देकर कहा कि सोनिया गांधी ही हमारी नेता हैं, ‘फुल टाइम प्रेसिडेंट’ हैं और उनकी राय के बिना कोई भी, फिर ज़ोर देकर बोले -कोई भी फ़ैसला नहीं लिया जाता और राहुल गांधी पार्टी के सबसे ‘केपेबल लीडर’ हैं।