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धर्म संसद में मुसलमानों का नरसंहार करने की धमकी पर हरिद्वार में एफआईआर

उत्तराखंड की हरिद्वार पुलिस ने धर्म संसद में मुसलमानों के नरसंहार (Muslim Genocide) की धमकी देने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। 

इस केस में जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी उर्फ वसीम रिजवी समेत कई अन्य लोगों को नामजद किया गया है। वसीम रिजवी ने हाल ही में सनातन धर्म स्वीकार किया है।

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यह धर्म संसद (Dhram Sansad) हरिद्वार में 17 से 19 दिसम्बर तक आयोजित की गई थी।

उत्तराखंड पुलिस ने अपने ट्वीट में कहा - सोशल मीडिया पर धर्म विशेष के खिलाफ भड़काऊ भाषण देकर नफरत फैलाने संबंधी वायरल हो रहे वीडियो का संज्ञान लेते हुए वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण त्यागी एवं अन्य के विरुद्ध कोतवाली हरिद्वार में धारा 153A IPC के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत किया गया है और विधिक कार्यवाही प्रचलित है।
FIR in Haridwar Dhram Sansad on threat to Massacre of Muslims - Satya Hindi

इस धर्म संसद का वीडियो बुधवार को वायरल हुआ था और पूरे देश में इसकी निन्दा की गई थी। तमाम लोगों ने आयोजकों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की थी।

इस धर्म संसद में विधायक और नेता भी थे। इस धर्म संसद में ऐसे बाबा लोग भी देखे गए, जिनके फोटो यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ सोशल मीडिया पर मौजूद हैं।

समझा जाता है कि हरिद्वार पुलिस ने यह एफआईआर केंद्र सरकार के निर्देश पर दर्ज किया है। इस नफरती घटना की विश्वव्यापी प्रतिक्रिया हुई है।

FIR in Haridwar Dhram Sansad on threat to Massacre of Muslims - Satya Hindi

विश्व भर के तमाम बुद्धिजीवियों ने इस संबंध में मोदी सरकार से तीखे सवाल पूछे हैं।

एफआईआर दर्ज होने के बाद इस पर कार्रवाई की संभावना क्षीण है। क्योंकि इससे पहले भी ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज हो चुकी है लेकिन कार्रवाई कोई नहीं हुई।

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क्या मकसद था

इस धर्म संसद का मकसद यूपी समेत तमाम राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव 2022 को प्रभावित करना था।

बीजेपी को लगता है कि ऐसे कार्यक्रमों से ध्रुवीकरण होगा और वो हिन्दू मतदाताओं को आकर्षित कर लेगी। ऐसे मतदाताओं का ध्यान महंगाई और अन्य जरूरी मुद्दों पर नहीं जाएगा।

इस समय तमाम तरह के बयान और कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं और उन्हें सीधे मुसलमानों से जोड़ दिया जाता है।

मुसलमानों ने अब ऐसे बयानों या कार्यक्रमों पर ध्यान देना, प्रतिक्रिया देना बंद कर दिया है। उनके बजाय अब तमाम गैर मुस्लिम लोग ऐसे बयानों और कार्यक्रमों का विरोध कर रहे हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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