कांग्रेस में जो कुछ चल रहा है, उससे लगता ही नहीं है कि यह इंदिरा गांधी जैसी सख़्त प्रशासक की विरासत वाली पार्टी है। इंदिरा ने 1969 में कांग्रेस में बग़ावत की बुलंद आवाज़ों और विभाजन के बाद फिर से पार्टी को अपने दम पर खड़ा किया था और दिखाया था कि अगर नेतृत्व में दम हो तो नेता-कार्यकर्ता पार्टी की नीतियों के हिसाब से ही चलते हैं।
कांग्रेस में सिर फुटव्वल, कब बोलेंगे सोनिया-राहुल?
- राजनीति
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- 5 Mar, 2021

आज कांग्रेस का मुक़ाबला उस बीजेपी से है, जो लगातार दो चुनावों में उसे धूल चटा चुकी है। जो पिछले छह साल में देश के लगभग सभी जिलों में ज़मीन ख़रीदकर वहां अपने स्थायी ऑफ़िस खड़े कर चुकी है। जो सोशल मीडिया की तिकड़मों में उससे कहीं आगे है और निश्चित रूप से लोकसभा, राज्यसभा और अधिकतर राज्यों में उससे बेहद ताक़तवर भी है। लेकिन लगता है कि कांग्रेस यह समझने के लिए तैयार नहीं है वरना पार्टी नेताओं के बीच चल रहे घमासान में आलाकमान दख़ल ज़रूर देता।
लेकिन आज की कांग्रेस में आप देख लीजिए, तमाम नेता एक-दूसरे के ख़िलाफ़ खुलकर बयानबाज़ी कर रहे हैं और साफ दिखाई देता है कि उन्हें पार्टी के अनुशासन या किसी सख़्त कार्रवाई का कोई डर ही नहीं है।