कांग्रेस में जो कुछ चल रहा है, उससे लगता ही नहीं है कि यह इंदिरा गांधी जैसी सख़्त प्रशासक की विरासत वाली पार्टी है। इंदिरा ने 1969 में कांग्रेस में बग़ावत की बुलंद आवाज़ों और विभाजन के बाद फिर से पार्टी को अपने दम पर खड़ा किया था और दिखाया था कि अगर नेतृत्व में दम हो तो नेता-कार्यकर्ता पार्टी की नीतियों के हिसाब से ही चलते हैं।