कांग्रेस रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में महंगाई पर हल्ला बोल रैली करने जा रही है। कांग्रेस ने अगस्त के महीने में भी महंगाई के खिलाफ दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन किया था और संसद के शीतकालीन सत्र में भी महंगाई, बेरोजगारी, जीएसटी की दरों में बढ़ोतरी आदि मुद्दों को जोर-शोर से उठाया था। इसके अलावा देश भर में महंगाई चौपाल का भी आयोजन किया था।
2024 के लोकसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल का वक्त है और कांग्रेस बुनियादी मुद्दों को उठाते हुए खुद को विपक्ष का नेतृत्व करने के लिए खड़ा करने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही वह 7 सितंबर से भारत जोड़ो यात्रा भी निकालने जा रही है।
इस यात्रा के जरिए कांग्रेस देशभर में लोगों के बीच पहुंचने की कोशिश करेगी और 5 महीने बाद जब यह यात्रा पूरी होगी तो देखना होगा कि अगले आम चुनाव से पहले क्या वह कार्यकर्ताओं में ऊर्जा का संचार कर पाई है।
रामलीला मैदान की रैली में देश भर के तमाम राज्यों से कांग्रेस कार्यकर्ता आएंगे और कांग्रेस की कोशिश इसके जरिए मोदी सरकार को घेरने की रहेगी।
अन्ना हजारे का आंदोलन
दिल्ली का रामलीला मैदान तमाम बड़े आंदोलनों का गवाह रहा है। 2011 में समाजसेवी अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुआ आंदोलन इसी मैदान में हुआ था और माना जाता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में यूपीए को मिली हार में इस भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की एक बड़ी भूमिका थी। उस वक्त हजारों लोग लोकपाल की मांग को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में आकर डट गए थे।
कांग्रेस ने जून और जुलाई के महीने में राहुल गांधी और सोनिया गांधी से जांच एजेंसी ईडी की पूछताछ के विरोध में भी दिल्ली सहित देशभर में जोरदार प्रदर्शन किया था और अपनी ताकत दिखाई थी। जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए महाराष्ट्र से लेकर पंजाब और दिल्ली से लेकर गुजरात और तमाम राज्यों में पार्टी के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे थे।
कांग्रेस की खराब हालत
लेकिन कांग्रेस की खराब हालत किसी से छिपी नहीं है। पार्टी सिर्फ 2 राज्यों में अपने दम पर सत्ता में है और 2014 के बाद से ही उसका खराब दौर चल रहा है।
कांग्रेस के सामने एक बड़ी चुनौती उसके घर में चल रहे झगड़े भी हैं। गुलाम नबी आजाद जैसे बड़े नेता पार्टी छोड़ चुके हैं और जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस के सामने ही चुनाव लड़ने को तैयार खड़े हैं। कांग्रेस में असंतुष्ट गुट के नेता आनंद शर्मा, पृथ्वीराज चव्हाण भी पार्टी हाईकमान के लिए चिंता का विषय बने हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस को अपने तमाम नेताओं को एकजुट कर अपने घर के झगड़ों को खत्म करने के साथ ही पार्टी के तमाम विपक्षी दलों को भी एक मंच पर लाना होगा।
तभी वह भारत जोड़ो यात्रा के जरिए खुद को बीजेपी के विकल्प के रूप में पेश कर पाएगी।
2024 का चुनाव
कांग्रेस के लिए 2024 का लोकसभा चुनाव करो या मरो की स्थिति है। लगातार चुनावी हार और कई नेताओं के धड़ाधड़ पार्टी छोड़ने के कारण पार्टी बुरी तरह पस्त हो चुकी है। ऐसे में कोई बड़ी उम्मीद नहीं दिखाई देती कि वह बीजेपी को अपने दम पर चुनौती दे सकती है। लेकिन राजनीति में असंभव कुछ नहीं होता। कांग्रेस अगर 2023 के चुनावी राज्यों में अच्छा प्रदर्शन करे और विपक्षी दलों के साथ तालमेल बनाते हुए एक मजबूत फ्रंट बनाए तो वह 2024 के चुनाव में एनडीए को सत्ता से हटा भी सकती है।
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