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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा है कि कांग्रेस 7 सितंबर को कन्याकुमारी से कश्मीर तक 'भारत जोड़ो यात्रा' शुरू करेगी। उन्होंने एक बयान में कहा कि यात्रा में पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित कांग्रेस कार्यकर्ता और नेता शामिल होंगे। इस भारत जोड़ो यात्रा की सबसे पहले घोषणा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मई महीने में राजस्थान के उदयपुर में तीन दिनों के चिंतन शिविर के आख़िरी दिन की थी। उन्होंने तब कहा था कि गांधी जयंती यानी 2 अक्टूबर से यह यात्रा शुरू होगी।
लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया गया है। यह यात्रा अब एक महीना पहले ही होगी। कहा जा रहा है कि कुछ सप्ताह पहले पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में यह राय बनी थी कि देश की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए यात्रा तय तिथि से पहली निकाली जाए।
12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करने वाली पदयात्रा की घोषणा करते हुए जयराम रमेश ने कहा, "इस दिन 80 साल पहले महात्मा गांधी के नेतृत्व और प्रेरणा में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 'भारत छोड़ो' आंदोलन शुरू किया था। इसने पांच साल बाद हमारे देश को आज़ादी दिलाई।"
उन्होंने कहा कि आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 7 सितंबर, 2022 से अपनी कन्याकुमारी से कश्मीर तक भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने की घोषणा की है। यह मार्च लगभग 3,500 किलोमीटर लंबा होगा और इसे पूरा होने में 150 दिन लगेंगे।
उन्होंने एक बयान में कहा, "कांग्रेस सभी लोगों से अपील करती है कि वे भय, कट्टरता और पूर्वाग्रह की राजनीति और आजीविका विनाश, बढ़ती बेरोजगारी और बढ़ती असमानताओं की राजनीति का विकल्प देने के लिए एक विशाल राष्ट्रीय प्रयास का हिस्सा बनें, 'भारत जोड़ो यात्रा' में भाग लें।"
एक ट्वीट में जयराम रमेश ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस पर हमला किया, जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी द्वारा शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन में आरएसएस की भूमिका के बारे में सवाल पूछे।
आपको क्या लगता है, 80 साल पहले उस ऐतिहासिक दिन RSS ने क्या किया होगा जब महात्मा गांधी ने भारत छोड़ो जन आंदोलन शुरू किया था? इसने इस आंदोलन से खुद को अलग कर लिया था।
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) August 9, 2022
श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसमें भाग नहीं लिया। जबकि गांधी,नेहरू,पटेल,प्रसाद,आज़ाद,पंत समेत कइयों को जेल जाना पड़ा।
वैसे, कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा जितने बड़े पैमाने पर प्रस्तावित है उतने बड़े पैमाने पर हाल में कोई यात्रा नहीं निकाली गई है। इससे पहले क़रीब 39 साल पहले ऐसी यात्रा पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर ने निकाली थी।
चंद्रशेखर ने 1983 में वह पदयात्रा की थी। हालाँकि उनकी वह यात्रा कन्याकुमारी से लेकर दिल्ली तक थी। उस यात्रा को चंद्रशेखर ने भारत यात्रा नाम दिया था। उनकी वह भारत यात्रा 4,000 किमी से अधिक की थी। 6 जनवरी 1983 को कन्याकुमारी से शुरू हुई वह यात्रा 25 जून 1984 को दिल्ली के राजघाट पर ख़त्म हुई थी। बता दें कि चंद्रशेखर 1990 में देश के 8वें प्रधानमंत्री चुने गए थे। हालांकि मार्च 1991 में बहुमत नहीं होने के कारण उनकी सरकार गिर गई थी।
हालाँकि, ऐसी पदयात्राएँ कई राज्यों में भी नेताओं ने की और उनको इसका काफी फायदा मिला। आंध्र प्रदेश में वाईएसआर की तरह जगन मोहन ने 3,648 किलोमीटर की पदयात्रा निकाली थी। यह पदयात्रा 341 दिन में पूरी हुई। 2019 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने 175 में से 151 सीटें जीतीं और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने।
वाईएसआर की पदयात्रा की वजह से चंद्रबाबू नायडू ने 2004 में मुख्यमंत्री की कुर्सी गंवाई थी। वाईएसआर ने 2 महीने में 1500 किलोमीटर की पदयात्रा की थी। इसके बाद चंद्रबाबू ने 2013 में 1,700 किमी लंबी पदयात्रा की। 2014 में वह विधानसभा चुनाव जीते और मुख्यमंत्री बने थे।
तो सवाल है कि क्या कांग्रेस भी इसी तरह की पदयात्रा करना चाहती है और क्या उसको इसका लाभ मिलेगा? यह इस पर निर्भर करता है कि वह यात्रा कितनी तन्मयता से की जाती है और कितना वह सफल हो पाती है।
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