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मतदान प्रतिशत गिरने से भाजपा परेशान, राज्यों को युद्धस्तर पर जुटने का निर्देश

लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में मतदान प्रतिशत में गिरावट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में खतरे की घंटी बजा दी है, जिसने अपने कैडर को पार्टी की पहुंच को दोगुना करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि मतदाताओं की उदासीनता के मद्देनजर उसका वोट शेयर कम न हो।

भाजपा के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में कम मतदान के चलते केंद्रीय नेतृत्व ने राज्य इकाइयों पर सख्ती की है और चुनाव की निगरानी कर रहे राज्य प्रभारियों से विस्तृत स्पष्टीकरण मांगा है।

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि कम मतदान को सिर्फ सत्तारूढ़ दल के प्रति गुस्से या उदासीनता के संकेत के रूप में नहीं पढ़ा जा सकता है। नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "कम मतदान का मतलब यह भी हो सकता है कि जो मतदाता विपक्ष और उसकी दिशा और नेतृत्व की कमी से निराश हैं, वे वोट देने के लिए नहीं आ रहे हैं।"

इस दावे के बावजूद, पार्टी आलाकमान ने राज्य प्रभारियों से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया है कि कम मतदान का सिलसिला अगले पांच चरणों तक जारी न रहे। भाजपा ने अपने सहयोगियों के साथ 543 सीटों में से 400 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और उसकी नजर कुल वोटों में से 50% पाने पर है।

हालांकि पार्टी के कुछ नेताओं ने तेज गर्मी और सप्ताहांत में मतदान का दिन तय होने पर छुट्टी के लिए शहरी मतदाताओं की आदत को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन योजनाबद्ध आउटरीच गतिविधियों के लिए राज्य इकाइयों की सुस्त प्रतिक्रिया पर चिंताएं भी जताई गई हैं।

मध्य प्रदेश के एक भाजपा नेता ने बताया कि “कुछ क्षेत्रों में सांसदों और विधायकों ने उम्मीद के मुताबिक ज़मीन पर प्रचार नहीं किया। इस पर किसी का ध्यान नहीं गया... ऊपर से उत्साह की कमी का असर बूथ कार्यकर्ताओं पर पड़ा जो हमारे चुनाव अभियान के मुख्य केंद्र हैं। इस मुद्दे का समाधान किया जा रहा है...।'' दूसरे चरण में रात 10 बजे तक 63.5% मतदान हुआ। मध्य प्रदेश में 2019 में 67.7% के मुकाबले 58.3% मतदान हुआ; महाराष्ट्र में 2019 में 62.8% के मुकाबले 58.99% और बिहार में गिरावट के साथ 2019 में 62.93% से गिरकर 58.5% हो गया।

राजस्थान में भी जहां बीजेपी की नजर सभी 25 सीटों पर है, वहां 61.60% मतदान हुआ, जो 2019 में दर्ज 66.07% से कम है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के अंत में 102 लोकसभा सीटों पर 65.5% मतदान हुआ; यह 2019 में इसी चरण के दौरान पंजीकृत 69.9% से कम था। एक अन्य भाजपा नेता ने कहा कि राजस्थान और एमपी में गिरावट ने दो नए मुख्यमंत्रियों भजन लाल शर्मा और मोहन यादव के नेतृत्व पर भी सवाल उठाए हैं।

भाजपा नेता ने कहा- “वसुंधरा राजे (राजस्थान में) और शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश में) के स्थान पर शपथ लेने के बाद यह पहला बड़ा चुनाव है; दोनों दिग्गज थे और पार्टी के लिए समर्थन जुटाने में माहिर थे। दोनों राज्यों के सीएम को अब यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास करने होंगे कि वे आगामी चरणों में नतीजे देंगे।”
उत्तर प्रदेश में भी कम मतदान भाजपा में चिन्ता का विषय बना हुआ है। दूसरे चरण में यह 2019 के 62% से गिरकर 54.85% पर पहुंच गया। सात प्रतिशत की कमी बहुत बड़ी कमी मानी जा रही है। अगर अलग लोकसभा सीटों की बात की जाए तो दूसरे चरण में मथुरा में 49.29% मतदान हुआ, जो 2019 में 61.03% से लगभग 12% कम है, और गाजियाबाद में 49.65% है, जो पांच साल पहले 55.83% से 6% कम है। इसी तरह मेरठ में 58.70%, अलीगढ़ में 56.62%, बागपत में 55.97%, बुलन्दशहर में 55.79% और गौतमबुद्ध नगर में 53% हुआ जो 2019 के मुकाबले कम है। 

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इसी तरह पहले चरण में यूपी की 8 सीटों पर भी मतदान 6 फीसदी कम हुआ था। हालांकि यूपी के भाजपा नेताओं ने कहा कि दूसरा चरण संतोषजनक रहा। लोगों ने भाजपा को वोट दिया है। दोनों चरणों के मतदान के बाद पीएम मोदी ने भी ट्वीट कर और शनिवार को गोवा की रैली में दावा किया कि भाजपा 2.0 से आगे है। यानी दो चरणों में आगे है। लेकिन एक्स पर एक पोस्ट में, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि दूसरे चरण में पूरे दिन एक अजीब प्रवृत्ति देखी गई जिसमें हर बूथ पर इंडिया गठबंधन का समर्थन करने वाले सभी समुदायों और वर्गों के मतदाताओं की संख्या बढ़ती रही। उन्होंने कहा, दूसरी ओर, भाजपा के मतदाताओं की संख्या घटती जा रही है। यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि एनडीए ने यह सुनिश्चित किया कि उसके समर्थक वोट डालें, जबकि विपक्षी दल अपने समर्थकों को प्रेरित करने में विफल रहे, जिससे मतदान में गिरावट आई।

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क़मर वहीद नक़वी
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