भाजपा ने पूर्व केंद्रीय मंत्री जयंत सिन्हा पर पार्टी के चुनाव प्रचार अभियान में दिलचस्पी नहीं लेने का आरोप लगाया है। पार्टी ने उनसे पूछा है कि वो सोमवार को वोट डालने क्यों नहीं गए। जयंत को भाजपा ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। दरअसल, भाजपा ने मनीष जयसवाल को हजारीबाग से लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया था। इस वजह से जयंत सिन्हा नाराज हैं। पूरे चुनाव में वो दूर रहे और पांचवें चरण के मतदान के दौरान सोमवार को हजारीबाग में अपना वोट भी नहीं डाला। जयंत सिन्हा पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे हैं। यशवंत सिन्हा पहले ही भाजपा में नहीं हैं।
भाजपा ने कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए जयंत सिन्हा को दो दिन का समय दिया है। भाजपा के झारखंड महासचिव आदित्य साहू ने नोटिस में कहा, "आपने अपने मताधिकार का प्रयोग करना भी उचित नहीं समझा। आपके आचरण से पार्टी की छवि खराब हुई है।"
भाजपा की परेशानी
जयंत सिन्हा को लेकर भाजपा काफी परेशान है। दरअसल, जयंत के बेटे आशीष सिन्हा ने झारखंड के बरही में इंडिया गठबंधन की एक चुनावी रैली में हिस्सा लिया था। इस रैली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद थे। रैली में आशीष सिन्हा ने कांग्रेस प्रत्याशी जेपी पटेल को अपना समर्थन भी दिया। इसका असर मतदाताओं पर भी पड़ा। इस घटनाक्रम के बाद से ही भाजपा नाराज थी।मोदी ने जब जयंत सिन्हा को अपने मंत्रिमंडल से हटाया था, तभी से सिन्हा ने पार्टी से दूरी बनाना शुरू कर दी थी। वो जानते थे कि हजारीबाग सिन्हा खानदान का गढ़ रहा है। इसलिए मार्च में जयंत सिन्हा ने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर भाजपा पर अपना दबाव बना दिया। सिन्हा ने भाजपा नेतृत्व से उन्हें चुनावी राजनीति से मुक्त करने का अनुरोध भी किया। जयंत सिन्हा और उनके पिता यशवंत सिन्हा ने 1998 से 26 वर्षों से अधिक समय तक हजारीबाग का प्रतिनिधित्व किया है। भाजपा सिन्हा खानदान की ताकत जानती है। इसलिए अब पार्टी यशवंत सिन्हा की तरह उनके बेटे से भी छुटकारा पाना चाहती है। लेकिन इस कारण बताओ नोटिस का जयंत सिन्हा पर शायद ही कोई असर पड़े।
सिन्हा ने मार्च में यह भी कहा था कि वह भारत और दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं। हालाँकि, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि वह आर्थिक और शासन संबंधी मुद्दों पर पार्टी के साथ काम करना जारी रखेंगे।
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