बीजेपी ने अप्रत्यक्ष रूप से स्वीकार कर लिया है कि यूपी का ब्राह्मण मतदाता कहीं न कहीं उसे लेकर पसोपेश में है या कहीं-कहीं नाराज भी है। यह संकेत मिला आज यूपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा की यूपी के ब्राह्मण नेताओं से मुलाकात और उसके बाद एक कमेटी की घोषणा से।
पिछले दो दिनों से दिल्ली में यूपी के ब्राह्मणों को लेकर बीजेपी में चिन्तन-मनन चल रहा था।
हाल ही में यूपी के दो प्रमुख राजनीतिक दलों बीएसपी और समाजवादी पार्टी ने अपने-अपने ब्राह्मण सम्मेलन कर इस मुद्दे को बढ़ावा दिया था। सपा ने तो लखनऊ-सुल्तानपुर सीम पर गंगाखेड़ा के मंदिर में परशुराम की कांस्य प्रतिमा तक लगवा दी।
शुरू में ये खबरें आई थीं कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कथित ब्राह्मण विरोधी रवैए से ब्राह्मण बीजेपी से दूर चला गया है। योगी ने इस संबंध में कभी कोई सफाई नहीं दी, हालांकि वो खुद तमाम ब्राह्मण केंद्रीय कार्यक्रमों में शामिल होते रहे।
दो दिनों का है ये नतीजा
यूपी के कुछ ब्राह्मण नेता रविवार को केंद्रीय मंत्री धर्मेद्र प्रधान के घर बैठक करने पहुंचे। यह बैठक पूरे दिन चली। यूपी के तमाम शहरों और कस्बों में ब्राह्मण नेताओं से संपर्क साधा गया।
उसके बाद आज वही लोग पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से मुलाकात करने पहुंचे और कल हुई बैठक की सारी जानकारी दी।
जेपी नड्डा ने यूपी के ब्राह्मण नेताओं की एक कमेटी बनाते हुए उसके सदस्यों से कहा कि वे यूपी की सभी 403 विधानसभा सीटों में ब्राह्मण केंद्रित गांवों, कस्बों और शहरों का दौरान करें। वहां के लोकल ब्राह्मण नेताओं को जोड़ें। कार्यक्रम कराएं। इससे पार्टी को बहुत फायदा होगा।
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नड्डा या बीजेपी की इस कमेटी में शामिल हैं - राज्यसभा में बीजेपी के चीफ व्हिप शिव प्रताप शुक्ला, बीजेपी नेता अभिजत मिश्रा, गुजरात से बीजेपी सांसद और पूर्व राष्ट्रीय सचिव रामभाई मोकरिया, और कैलाश अस्पताल वाले व बीजेपी सांसद डॉ. महेश शर्मा।
सूत्रों का कहना है कि इस सूची में अधिकृत तौर पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी का नाम नहीं डाला गया है। लेकिन टेनी इस कमेटी के साथ जगह-जगह जाएंगे। टेनी को एक हीरो के रूप में प्रस्तुत करके बताया जाएगा कि कैसे पूरे देश में अजय मिश्रा के खिलाफ अभियान चलाया गया लेकिन प्रधानमंत्री इस ब्राह्मण के साथ खड़े रहे।
ब्राह्मण मतदाता कम, असरदार ज्यादा
यूपी में ब्राह्मण 1992 से बीजेपी का कोर वोटर बन चुका है। प्रदेश में ब्राह्मण आबादी महज ढाई करोड़ है और वह यादवों के बाद सबसे बड़ा एकल जाति समूह है।
हालांकि दलित और मुस्लिम मतदाताओं की तादाद ब्राह्मण मतदाताओं से बहुत ज्यादा है। लेकिन राजनीति में रसूखदार होने की वजह से ब्राह्मण लॉबी यूपी में हमेशा से प्रभावशाली रही है।
सिर्फ बीजेपी में ही नहीं कांग्रेस और बाकी दलों में भी कद्दावर ब्राह्मण नेता हैं। इसके बावजूद ब्राह्मणों का झुकाव मुख्य रूप से बीजेपी की तरफ रहा।
योगी के सीएम बनने के बाद कानपुर देहात में एक गैंगस्टर पुलिस एनकाउंटर में मारा गया था। हालांकि उसके वो खुद को बीजेपी नेता बताता था और उसके कई बीजेपी नेताओं से संबंध भी थे।
बाद में उसकी पत्नी से यूपी सरकार के व्यवहार को लेकर मामला सुर्खियों में रहा। मारे गए गैंगस्टर का परिवार ब्राह्मण है।
इस मामले को सबसे पहले कांग्रेस के प्रमोद तिवारी वगैरह ने उठाया। बीजेपी के कई ब्राह्मण विधायकों ने सीएम योगी से मिलकर सारी बात रखी।
हालात में कोई बदलाव नहीं आया।
मीडिया में ब्राह्मणों के बीजेपी से दूर जाने की खबरें लगातार आती रहीं। इसके बाद राजनीतिक दलों ने ब्राह्मण सम्मेलन शुरू कर दिए।
इसके बाद लखीमपुर कांड में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा का नाम आ गया।
कई ब्राह्मण संगठनों ने अजय मिश्रा के खिलाफ संगठित अभियान चलाने का आरोप लगाया।
बहरहाल, बीजेपी ने ब्राह्मणों को पटाने के लिए ताकत झोंक दी है।
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