ब्राह्मणवाद को लेकर प्रवचन करने वाले दो लोगों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हैं। इनमें से एक तो मोटीवेशनल स्पीकर विवेक बिन्द्रा हैं जिन पर पत्नी को पीटने का आरोप है। नोएडा पुलिस ने केस दर्ज किया है। उनका वीडियो वायरल है। दूसरे शख्स नए-नए संत बने बिहार के पूर्व डीजीपी गुप्तश्वेर पांडे हैं जो लोगों को ब्राह्मणवाद के कोप से बचने की सलाह दे रहे हैं। हालांकि तमाम ब्राह्मणों ने उनकी बात को वाहियात बताया है।
नए संसद भवन में राजदंड यानी सेंगोल तो स्थापित कर दिया गया लेकिन क्या इसके साथ वो चोल शासन व्यवस्था भी लौटेगी जिसमें ब्राह्मण सर्वोच्च थे। क्या चोल वंश की तरह मंदिर वर्ष में सिर्फ एक बार अछूतों के लिए खुलेंगे, वो भी खुलेंगे या नहीं...इन्हीं सब सवालों पर वरिष्ठ पत्रकार त्रिभुवन की टिप्पणीः
बीजेपी पिछले दो दिनों से यूपी के ब्राह्मण मतदाताओं को पटाने की रणनीति पर काम कर रही थी। उसने एक कमेटी बनाई है जो राज्य की सभी 403 विधानसभा सीटों पर जाएगी। कौन-कौन है इस कमेटी में और उसका क्या प्लान है, जानिए इस रिपोर्ट में...
यूपी चुनाव 2022 में बीजेपी के कोर वोटर को लुभाने के लिए सारे राजनीतिक दलों ने पूरी ताकत लगा दी है। समाजवादी पार्टी ने भी इसी वजह से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर भगवान परशुराम की मूर्ति एक मंदिर में स्थापित करा दी है।
उत्तर प्रदेश में अगले कुछ महीनों बाद चुनाव होने हैं, लेकिन काफ़ी पहले से ही राजनीतिक दल ब्राह्मणों को रिझाने की कोशिश में जुट गए हैं। चाहे वह मायावती हों या अखिलेश यादव। बीएसपी के बाद बीजेपी भी प्रबुद्ध सम्मेलन के लिए जुटी हुई है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के संघर्ष से लगभग बाहर दिख रही बसपा अचानक बड़ी खिलाड़ी बनकर उभरी है। ऐसा कैसे हो गया वह भी तब जब हाल में मोदी और योगी के बीच कुछ खटपट होने की ख़बरें आई हैं?
यूपी विधानसभा चुनाव में बमुश्किल 6 माह का वक़्त बाक़ी है। सामाजिक न्याय की राजनीति करने वाले सपा और बसपा जैसे दल इन दिनों ब्राह्मणों को जोड़ने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं। क्या इससे उन्हें फ़ायदा होगा?
राष्ट्रीय लोकदल ने भाईचारा सम्मेलनों का सिलसिला शुरू करने का एलान किया। क्या फर्क पड़ेगा पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति पर? क्या जाट और मुस्लिम साथ आ पाएंगे? क्या यह ब्राह्मण सम्मेलनों का जवाब भी है? आलोक जोशी के साथ विनोद अग्निहोत्री, यूसुफ अंसारी, हरिशंकर जोशी, पुष्पेंद्र सिंह और अंबरीश कुमार।
मायावती ब्राह्मणों को लुभाने में क्यों लगी हैं? बसपा अगर विचारधारा के अनुसार चली होती तो क्या आज वोट की तलाश में ब्राह्मण के पास पहुँचने की ज़रूरत पड़ती?