कांग्रेस ने रविवार को जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ सीट-बंटवारे पर बातचीत शुरू की। इस बातचीत का मकसद भाजपा से आगामी लोकसभा चुनाव में एकजुट होकर मुकाबला करने के लिए "उचित और सम्मानजनक" सीट एडजस्टमेंट हो। लेकिन मामला फिलहाल बनता नजर नहीं आ रहा है।
यह बातचीत कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मुकुल वासनिक के आवास पर हुई। इसमें कांग्रेस की पांच सदस्यीय राष्ट्रीय गठबंधन समिति (एनएसी) के सदस्य मौजूद थे। बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी (बीपीसीसी) के नेताओं को भी कांग्रेस ने सलाह के लिए बुलाया था।
नाम न छापने की शर्त पर एआईसीसी के एक नेता ने मीडिया से कहा कि “हमारी कमेटी पिछले चुनावों के आंकड़ों, पार्टी कार्यकर्ताओं की फीडबैक से लैस है और सीट-बंटवारे की कवायद शुरू करने से पहले हर सीट पर मनन कर रही है। हम समझौता करने के लिए तैयार हैं, लेकिन इंडिया गठबंधन को बरकरार रखने के लिए सब कुछ बलिदान करने को तैयार नहीं हैं।“
सूत्रों ने बताया कि रविवार की बैठक में बिहार में कांग्रेस को पांच लोकसभा सीटें का ऑफर दिया गया। जबकि 2019 में भी समझौता हुआ था और कांग्रेस को 9 सीटें दी गई थीं। तब कांग्रेस का आरजेडी और सीपीएम-सीपीआई से समझौता हुआ था। कांग्रेस एक सीट जीती थी। जेडीयू तब एनडीए में था। उसने 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 16 पर जीत हासिल की थी। किसी भी मौजूदा सीट को छोड़ना निश्चित रूप से किसी भी पार्टी के लिए एक चुनौतीपूर्ण बात है। हालाँकि, इस बार स्थिति अलग है और चुनौतियाँ भी अलग हैं।
सीट शेयरिंग बातचीत में "पॉजिटिव मूड" का हवाला देते हुए, बिहार कांग्रेस के एक नेता, जो इस समय नई दिल्ली में हैं, ने कहा कि "पार्टी निश्चित रूप से सीट-बंटवारे की प्रक्रिया में "सम्मानजनक सौदा" पाने की कोशिश करेगी। हमें कम से कम छह या सात सीटें तो चाहिए ही होंगीं। यह एक उचित मांग है। कांग्रेस समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देना चाहती है।"
बहरहाल, पहले दौर की बातचीत के बाद आरजेडी सांसद मनोज झा ने सिर्फ इतना कहा - "सब ठीक है। बातचीत सकारात्मक रही।”
कांग्रेस के भी एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि पहले दौर की बातचीत सकारात्मक रही। जेडीयू नेता संजय कुमार झा और आरजेडी नेता मनोज झा बातचीत में शामिल थे।
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