समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने 24 घंटे में परिवार के दूसरे सदस्य के बीजेपी में जाने पर कहा है कि सपा का बोझ कम करने के लिए बीजेपी को धन्यवाद। यादव ने आज लखनऊ में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, "बीजेपी को खुश होना चाहिए, वे हम पर परिवारवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाते रहते हैं, कम से कम वे हमारे परिवार में परिवारवाद को खत्म कर रहे हैं। इसके लिए मैं उनका आभारी हूं।"
अखिलेश समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक और पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव के बहनोई प्रमोद गुप्ता के दलबदल के बारे में सवालों का जवाब दे रहे थे।
आज बीजेपी में शामिल होने के बाद गुप्ता ने कहा कि समाजवादी पार्टी पर गुंडों का कब्जा हो गया है।
अखिलेश यादव की भाभी अपर्णा यादव के दिल्ली में बीजेपी में शामिल होने के एक दिन बाद प्रमोद गुप्ता के बीजेपी में जाने की खबर आई है। हालांकि बीजेपी से सपा में हाई-प्रोफाइल दलबदल पिछले हफ्ते हो चुका है। बीजेपी के शीर्ष ओबीसी मंत्रियों और विधायकों ने ओबीसी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के नेतृत्व में समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली थी।
यादव 2012 और 2017 के बीच मुख्यमंत्री थे, लेकिन उनके अधिकांश कार्यकाल के लिए उनके चाचा शिवपाल यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव देखरेख कर रहे थे। लेकिन उन्होंने अंततः पार्टी पर नियंत्रण कर लिया। हालांकि पिता और चाचा से इस पर विवाद हुआ। चाचा को पार्टी छोड़नी पड़ी।
2022 के महत्वपूर्ण चुनाव से पहले, अखिलेश ने चाचा शिवपाल यादव के साथ समझौता किया है, जो अब एक अलग पार्टी के प्रमुख हैं। हालांकि अब समाजवादी पार्टी में वो एक प्रमुख व्यक्ति नहीं हैं। मुलायम सिंह यादव भी लोकसभा सांसद हैं, लेकिन पार्टी के दिन-प्रतिदिन के कामकाज का हिस्सा नहीं हैं।
अखिलेश के दूसरे चाचा राम गोपाल यादव राज्यसभा सांसद हैं, लेकिन ज्यादातर पार्टी के लिए बैकरूम मैनेजर हैं। उनके चचेरे भाई, जो पूर्व सांसद भी हैं, अब शायद ही कभी उनके पक्ष में देखे जाते हैं। समाजवादी पार्टी के सूत्रों ने कहा कि गेम प्लान अखिलेश को चुनाव के लिए पार्टी के एकमात्र चेहरे के रूप में पेश करना है, जो अकेले दम पर पार्टी को आगे ले जा सकते हैं।
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