loader

अडानी के खिलाफ महारिश्वतखोरी का मामला क्या मोदी के लिए बुरी खबर है?

169 बिलियन डॉलर के एशियाई बिजनेस टाइकून गौतम अडानी के खिलाफ अब तक सबसे बड़ा खतरा अमेरिका से आया है। मोदी राज में जिस कारोबारी को अजेय समझा जा रहा था, एक पल में यूएस के न्याय विभाग ने आपराधिक अभियोग का आरोपी बना दिया। भारत के विपक्ष ने गौतम अडानी पर लगे आरोपों को मुद्दा बनाने का मौका गवां दिया है। हालांकि भारत में नेता विपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने इसे मुद्दा बनाने की पूरी कोशिश की। लेकिन ब्लूमबर्ग ने अपने विश्लेषण में लिखा है कि गौतम अडानी केस अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के लिए एक अप्रत्याशित गिफ्ट है और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए चौतरफा शर्मिंदगी का दाग है। 

54 पेज के अभियोग में आरोप लगाया गया है कि 2020 में अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड की बिजली खरीदने के लिए कोई खरीदार नहीं था। अडानी की कंपनी को यह बिजली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से मिली थी, जिसे आगे बेचा जाना था। कॉन्ट्रैक्ट खतरे में पड़ता दिखाई दे रहा था। अभियोग में कहा गया है कि इसके बाद गौतम अडानी ने अपना रिश्वत प्लान आगे बढ़ाया।

ताजा ख़बरें
अमेरिकी न्याय विभाग का कहना है कि गौतम अडानी ने "भारत सरकार के अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (2000 करोड़ से ज्यादा) से अधिक की रिश्वत देने, निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलकर अरबों डॉलर जुटाने और न्याय में बाधा डालने" की एक भ्रष्ट योजना को जन्म दिया। अडानी समूह ने आरोपों को निराधार बताया और कहा कि वह सभी कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन करता है। समूह ने एक बयान में कहा, "हर संभव कानूनी सहारा लिया जाएगा।"

भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई के पश्चिमी राज्य महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव खत्म होने के कुछ घंटों बाद यह खबर आई। अगर यह खबर एक दिन पहले भी आई होती तो महाराष्ट्र चुनाव का मामला पलट सकता था। हालांकि विपक्षी नेता राहुल गांधी ने विशेष रूप से महाराष्ट्र चुनाव में क्रोनी पूंजीवाद विशेष रूप से अडानी की मोदी से निकटता को अपने अभियान का केंद्रीय हिस्सा बनाया था। राहुल गांधी के आरोपों को यूएस जस्टिस विभाग और अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआई ने एक तरह से पुष्टि कर दी है। यानी राहुल जिस तरह के आरोप लगा रहे थे, एफबीआई ने उसे पुख्ता कर दिया।
मुंबई में अडानी के पास दो हवाई अड्डे हैं और शहर को बिजली भी सप्लाई करते हैं। जल्द ही अडानी की कंपनी धारावी प्रोजेक्ट का काम शुरू करने जा रही है। राहुल गांधी और उनके सहयोगियों ने आरोप लगाया है कि विवादास्पद 3 बिलियन डॉलर की परियोजना की शर्तों को राज्य सरकार ने अडानी के लिए बहुत ही हल्का कर दिया था। महाराष्ट्र मोदी की पार्टी भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा नियंत्रित है। न तो अडानी और न ही मोदी ने राहुल गांधी के आरोपों का जवाब दिया है। अगर महाराष्ट्र में सरकार बदलती है तो धारावी योजना पर फिर से विचार होगा।

नरेंद्र मोदी और उनकी पार्टी बेशक चुनाव दर चुनाव जीत रहे हैं लेकिन अडानी समूह पर लगे आरोपों ने मोदी और भाजपा के लिए शक तो पैदा ही कर दिया है।


हालाँकि, ट्रम्प के लिए भी अडानी अभियोग बहुत बेहतर समय पर आया है। उनका आने वाला प्रशासन भारत के साथ अधिक बाजार पहुंच के लिए इस मुद्दे पर सौदेबाजी कर सकता है। खासकर अमेरिकी तकनीकी कंपनियों के लिए ट्रम्प भारत से अब ज्यादा कड़ी भाषा में बात कर सकते हैं।
अडानी के स्टॉक और बॉन्ड पहले से ही गिर रहे हैं। बैंकरों को अडानी के लोन की फाइल रिस्क कमेटी के पास ले जाने के लिए इंतजार करना होगा कि कब अमेरिकी न्याय विभाग के अभियोग का नतीजा आता है। गौतम और सागर के खिलाफ आपराधिक आरोपों का बोझ बैंकर क्यों उठाएंगे।

अडानी प्रधानमंत्री के लंबे समय से मित्र हैं, और पिछले साल जनवरी में जब न्यूयॉर्क स्थित हिंडनबर्ग रिसर्च ने एशिया के दूसरे सबसे अमीर आदमी पर "कॉर्पोरेट इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला करने" का आरोप लगाया था, तो न सिर्फ मोदी सरकार बल्कि भाजपा जरा भी नहीं शरमाई और अडानी के समर्थन में कूद पड़ी।
ताज़ा अमेरिकी आरोपों ने सब कुछ बदल दिया है। अभियोग में आरोप लगाया गया है कि अडानी ने कम से कम पिछले साल मार्च से निवेशकों और विदेश में पैसे देने वाले निवेशकों से "रिश्वत योजना" को छुपाया। हालांकि एफबीआई के एजेंटों ने सागर को अमेरिका में तलाशी वारंट दिया था। लेकिन यह बात भी निवेशकों से छिपाई गई।

भारत में अडानी का रिश्वतखोरी कांड बड़ा मुद्दा बन सकता है। लेकिन अगर यह मामला लंबा खिंचा तभी विपक्ष मोदी सरकार को घेरेगा। हालांकि मोदी की अपनी भारतीय जनता पार्टी आश्चर्यचकित हो सकती है कि उसे ऐसे प्रधानमंत्री का कब तक समर्थन करना चाहिए, जो 74 साल की उम्र में 2029 के चुनाव में भी भाजपा का नेतृत्व करने को तैयार है।
राजनीति से और खबरें
कुल मिलाकर अडानी पर महा रिश्वतखोरी आरोप जितना भी लंबा चले, भाजपा की की पाक-साफ छवि पर बहस तेज होती जाएगी। हालांकि राहुल गांधी अडानी पर चर्चा को केंद्र में ले आए हैं लेकिन जब तक पूरा विपक्ष उनके साथ नहीं खड़ा होता है तो यह मुद्दा बहुत लंबा नहीं खिंच पाएगा। अगले साल दिल्ली और बिहार में विधानसभा चुनाव है। आम आदमी पार्टी ने अडानी के महा रिश्वतखोरी मामले में कोई टिप्पणी नहीं की है। आरजेडी तो खैर मुखर ही है। लेकिन अकेले कांग्रेस इस मुद्दे को लंबा नहीं खींच सकती। अगर भाजपा या एनडीए शनिवार के नतीजों में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हो गई तो विपक्ष इस मुद्दे को आक्रामक होकर नहीं उठा पाएगी। लेकिन यही उसकी गलती भी होगी। क्योंकि राहुल गांधी ने फिर साफ कर दिया है कि वो अडानी मुद्दे पर आंदोलन खड़ा कर सकते हैं। बशर्ते बाकी दलों का साथ मिले। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

राजनीति से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें