यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया है कि बाबर ने संभल की जामा मस्जिद हरिहर मंदिर को तोड़कर बनायी थी। उन्होंने ‘बाबरनामा’ में इसका ज़िक्र होने का दावा किया है जो मुग़ल शासन की नींव डालने वाले इस बादशाह की आत्मकथा है। एक ज़माना था जब सत्ताधारियों के दावे की पड़ताल की जाती थी। लेकिन कम से कम कथित मुख्यधारा मीडिया अब ऐसी ‘ग़लती’ नहीं करता। उसने योगी आदित्यनाथ के इतिहास-ज्ञान को ‘ब्रह्मवाक्य’ की तरह पेश कर दिया।
बाबरनामा के ‘झूठ' के सहारे संभल को दूसरी अयोध्या बनाने की कोशिश?
- विचार
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- 10 Jan, 2025

यूपी देश के सबसे निर्धन राज्यों में है और देश में आर्थिक सुस्ती का जैसा माहौल है, उसे देखते हुए इस स्थिति में परिवर्तन की जल्द उम्मीद भी नहीं है। इतिहास को सांप्रादयिक नज़रिए से देखना और प्रचारित करना वर्तमान की बदहाली से मुँह चुराने का ज़रिया है।
ऐसा ही कुछ अयोध्या की बाबरी मस्जिद के बारे में किया गया था। 1857 में हिंदू-मुस्लिम एकता के आधार पर पैदा हुईं क्रांति की लहरों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के शासन को डुबो दिया था। भारत सीधे अंग्रेज़ साम्राज्ञी रानी विक्टोरिया के अधीन हो गया था। अंग्रेज़ों को समझ में आ गया था कि हिंदुओं और मुसलमानों में फूट डालकर ही वे राज कर सकते हैं। अयोध्या में राम मंदिर की कथा इसके बाद ही गढ़ी गयी। आज़ादी की लड़ाई के दौरान यह विवाद स्थानीय प्रकृति का बना रहा, लेकिन आज़ादी के बाद एक सेक्युलर और लोकतांत्रिक भारत की नींव हिलाने के लिए इस ‘गढ़ंत’ को अखिल भारतीय स्तर पर प्रचारित किया गया। ऐसा करने वालों ने लखनऊ से लेकर दिल्ली तक की सत्ता पर क़ब्ज़ा कर लिया। तब भी बाबरनामा में इसके ज़िक्र का दावा किया गया था।