संसद वह सर्वोच्च संस्था है जो देश के 140 करोड़ लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। इसका काम ये सुनिश्चित करना है कि देश संविधान के मुताबिक चले। देश और जनता के हित को सुरक्षित रखने के लिए संसद संविधान बदलने से लेकर हर तरह के फैसले ले सकती है। मौजूदा संसद सत्र खत्म होने के साथ यह सवाल पूछा जाना लाजिमी है कि क्या हमारी संसद ने देश की ज्वलंत समस्याओं को हल करने की पहल की? इसका जवाब बहुत निराशाजनक है।
स्पीकर की भूमिका पर सवाल तो उठेंगे ?
- विचार
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- 13 Aug, 2023

संसद प्रधानमंत्री से बड़ी है। देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू यह लकीर खींच कर जा चुके हैं। भाजपाई कुनबा उस लकीर को मिटाना चाहता है, उसके सामने संसद की गरिमा का कोई महत्व नहीं है। वो संसदीय लोकतंत्र को तार-तार करना चाहता है। संदीप सिंह को पढ़िएः