बहुत पुरानी बात नहीं है जब दिल्ली में काले रंग के कुछ पोस्टर लगाए गए थे जिन पर लिखा था- ‘मोदी जी हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेज दिया‘। पोस्टर लगते ही पुलिस सक्रिय हुई और कई लोगों को गिरफ्तार करके उन पर मुक़दमा चला दिया गया। यह उस समय की बात है जब अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों पर कोविड-19 वैक्सीन की भारी किल्लत हो गई थी। और यह भी सच है कि उस समय तक सरकार ने वैक्सीन का निर्यात पूरी तरह रोक दिया था।

वैक्सीन का उत्पादन तभी बढ़ सकता है जब कच्चे माल की आपूर्ति भी तेज़ी से बढ़े। इसके लिए जब दुनिया भर के बाज़ारों में राजनयिक स्तर पर कोशिश हो रही है तो यह भी सुनने को मिल रहा है कि भारत कच्चे माल का आयात तो करना चाहता है लेकिन वैक्सीन का निर्यात नहीं करना चाहता।
लेकिन अब कई तरह के दबावों के बीच ऐसा लग रहा है कि भारत से वैक्सीन निर्यात का सिलसिला फिर से शुरू हो सकता है। नीति आयोग में स्वास्थ्य मामलों को देख रहे वी के पॉल का बयान तो कम से कम यही संकेत दे रहा है। शनिवार को उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एसोशिएट प्रेस से कहा कि कोविड वैक्सीन का निर्यात पूरी तरह से हमारे राडार पर है।