वैक्सीन की शुरुआती कामयाबी के बाद पश्चिम के देशों ने शायद यह मान लिया है कि उन्होंने कोविड-19 की महामारी पर जीत हासिल कर ली है। इन दिनों पश्चिम के और खासकर अमेरिका के अखबारों और पत्रिकाओं को देखें तो बहस फिर से इस ओर मुड़ गई है कि कोरोना वायरस आखिर आया कहां से।

चीन ही क्यों किसी भी देश की प्रयोगशाला से अगर ऐसा वायरस लीक हुआ हो तो यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वह देश किसी जांच दल को सच तक पहुँचने देगा। और जहां तक जीवाणु युद्ध की तैयारियों की बात है यह माना जाता है कि दुनिया के कई देशों की दो दर्जन से ज्यादा प्रयोगशालाओं में इस पर शोध चल रहा है।
कई बड़े अखबार और पत्रिकाएं फिर से यह साबित करने में जुट गए हैं कि कोरोना वायरस हमें प्रकृति से नहीं मिला बल्कि यह चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ़ वायरोलॉजी से लीक हुआ है। आमतौर पर निष्पक्ष पत्रकारिता की वकालत करती दिखाई देने वाली कुछ मशहूर पत्रिकाएं बिना दूसरे पक्ष की बात किए हुए इसे साबित करने पर तुल गई हैं।