आजकल भारत और अमेरिका के बीच जैसा प्रेमालाप चल रहा है, मेरी याददाश्त में कभी किसी देश के साथ भारत का नहीं चला। शीतयुद्ध के घनेरे बादलों के दौरान जवाहरलाल नेहरू और सोवियत नेता ख्रुश्चेव और बुल्गानिन के बीच भी नहीं। इसका कारण शायद यही समझा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी की मोहिनी ने डोनल्ड ट्रंप को सम्मोहित कर लिया है।
चीन के साथ तनाव में भारत न बने अमेरिका का मोहरा
- विचार
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- 23 Jul, 2020

अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में चीन को धमकाने के लिए एक प्रस्ताव भी लाया गया। उसमें अमेरिकी सांसदों ने चीन से कहा है कि वह भारत के साथ तमीज से पेश आए। डंडे के ज़ोर से वह भारत की ज़मीन हड़पने की कोशिश न करे।