सुशांत सिंह राजपूत केस पर बिहार पुलिस और मुंबई पुलिस अब सार्वजनिक रूप से आमने-सामने हैं। पटना के सिटी एसपी विनय तिवारी के हाथ पर क्वारंटीन की मुहर लगाकर मुंबई पुलिस ने साफ़ कर दिया है कि जाँच में बिहार पुलिस के कूदने से वह ख़ुश नहीं है। ख़ुश हो भी तो कैसे? क्या कोई यह बता सकता है सारा मामला किसी और राज्य में होने के बाद भी बिहार पुलिस ने अपने यहाँ मुक़दमा क्यों दर्ज किया?
सुशांत केस- बिहार पुलिस ने ज़ीरो एफ़आईआर क्यों नहीं दर्ज की!
- विचार
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- 3 Aug, 2020

सुशांत सिंह राजपूत केस में बिहार पुलिस ने ज़ीरो एफ़आईआर क्यों नहीं दर्ज की और इस मामले को मुंबई पुलिस के पास क्यों नहीं भेज दिया? जब एक ही केस में दो पुलिस थाने जाँच कर रहे हों और दोनों की फ़ाइंडिंग अलग-अलग हो तो केस का ख़राब होना तय है। ऐसे में जाँच में बहुत सारी उलझनें पैदा होने की पूरी संभावना है। मुम्बई पुलिस की थ्योरी कुछ और होगी, बिहार पुलिस की कुछ और।
सुशांत के परिजनों के प्रति पूरी सहानुभूति रखने के साथ-साथ कुछ बातों पर विचार होना ज़रूरी है। पहली बात तो यही कि बिहार पुलिस ने ज़ीरो एफ़आईआर क्यों नहीं दर्ज की और इस मामले को मुंबई पुलिस के पास क्यों नहीं भेज दिया? दूसरी अहम बात यह भी कि ऐसे कितने मामलों में बिहार पुलिस ने मुक़दमे दर्ज किए हैं? ये सवाल बिहार पुलिस को अटपटे लग सकते हैं। लेकिन परिवार वालों की शिकायत और हादसों के मुताबिक़ जालसाजी से लेकर मौत तक मुंबई में हुए तो मामला तो मुंबई का ही बनता था। बिहार पुलिस अगर ज़ीरो एफ़आईआर दर्ज कर उसका पूरा विवरण मुंबई पुलिस के पास भेज देती तो मुंबई पुलिस इसे अपनी जाँच का हिस्सा बनाने पर मजबूर होती।