1962 में मात्र तीन सीटों को जीतकर बिहार विधानसभा में प्रवेश करने वाली भारतीय जनता पार्टी (जनसंघ) का बिहार में इतिहास बड़ा रोचक है। 20 साल अविभाजित बिहार और 15 साल अकेले राजनीतिक सफर करने वाली बीजेपी का सियासी ग्राफ़ हर चुनाव में बढ़ा है। 1962 में बीजेपी ने 75 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे थे और उसके तीन उम्मीदवार जीते थे। 2010 में इस पार्टी ने 102 उम्मीदवार मैदान में उतारे जिनमें 91 ने जीत हासिल की। 1962 में जहाँ बीजेपी को 2.64 प्रतिशत वोट बिहार में मिले थे, वहीं 2010 में उसे 16.46 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए।
बिहार में तीन सीटें जीतकर शुरुआत करने वाली बीजेपी की राह आसान है क्या?
- बिहार
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- 12 Jul, 2020

बिहार में प्रचंड जीत दर्ज कर चुकी बीजेपी इस बार भी 2015 की तरह डिजिटल प्रचार में सभी दलों को पीछे छोड़ चुकी है। लालू जेल में हैं लेकिन बीजेपी की राह इतनी आसान होगी क्या? देखना यह है कि बीजेपी का सियासी सफर इस बार कौन-सा मुकाम तय करता है।
1962 में एक दशक के संघर्ष के बाद बिहार विधानसभा में पहली बार बीजेपी (जनसंघ) के 3 उम्मीदवार पहुँचे थे। यह वह दौर था जब कांग्रेस की लोकप्रियता चरम पर थी और वहीं पार्टियाँ कांग्रेस के मुक़ाबले खड़ी हो पाई थीं जिन्होंने सामाजिक असमानता का मुद्दा उठाया था। आगे जाकर ये पार्टियाँ सिमट गईं और उन्हीं आदिवासी इलाक़ों में बीजेपी की ज़मीन मज़बूत होती गई।