रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया (आरबीआई) ने लगातार दूसरी बार द्विमासिक मौद्रिक नीति की समीक्षा के बाद देश की जीडीपी को लेकर कोई अनुमान सामने नहीं रखा। जीडीपी निगेटिव रहेगी, ऐसा कहकर उसने जवाब के बजाय सवाल खड़े कर दिए हैं!

मोदी सरकार को इसे लेकर कठघरे में खड़ा किया जा चुका है कि वह सरकारी आंकड़े जिन्हें सार्वजनिक किया जाना चाहिए, उन्हें प्रतिबंधित करने की कोशिश कर रही है।
कितनी निगेटिव रहेगी? कैसे रहेगी? लोगों को आरबीआई से इन सवालों के जवाब की उम्मीद थी। क्योंकि देश का पूरा ख़ज़ाना उसके हाथों से गुज़रता है इसीलिए लोगों को यह अपेक्षा थी कि रिज़र्व बैंक एक अनुमान तो सामने रखेगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
सवाल खड़े होने लगे कि इस सरकार की तरह अब रिजर्व बैंक भी आंकड़ों को छुपाने लगेगा तो क्या होगा? नोटबंदी के बाद भी रिजर्व बैंक पर ये आरोप लगे थे। उस समय बैंक की बागडोर संभालने वाले गवर्नर और उनके सहयोगी अपना कार्यकाल बीच में ही छोड़ गए और हाल ही में दोनों ने ही अपनी अलग-अलग किताब के जरिये सरकार और वित्त मंत्रालय के कामकाज को कठघरे में खड़ा किया है। ये आरोप थे बैंकों के एनपीए के आंकड़ों को लेकर।